भारत के लिए एक ही संतोष की बात हो सकती है कि ऐसे हालात सिर्फ़ देश में ही नहीं होंगे। पूरी दुनिया इस संकट से दो चार होगी। आईएमए़फ़ के एक आकलन के मुताबिक़ वैश्विक जीडीपी में 3% की सिकुड़न देखने में आयेगी यानी विकास नकारात्मक होगा। अमेरिका, चीन, यूरोप, लैटिन अमेरिका और अफ़्रीका, कोई भी इस कोरोना की मार से बचेगा नहीं।
न तो 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना पूरा होगा और न ही 2022 तक किसानों की आय दोगुनी होगी। चारों तरफ़ बदहाली का आलम होगा। आर्थिक बदहाली का असर सामाजिक स्थिति पर भी पड़ेगा और अगर हालात नहीं सुधारे गये या नहीं सुधरे, तो सामाजिक अराजकता भी फैल सकती है।
अमेरिका के बाद इटली, स्पेन, जर्मनी और ब्रिटेन की हालत भी बहुत दर्दनाक है। आईएमए़फ़ का मानना है कि यूरोप की अर्थव्यवस्था में कुल 7.5% की सिकुड़न होगी जिसमें इटली की अर्थव्यवस्था 9.1%, स्पेन की 8%, फ्रांस की 7.2% और जर्मनी की 7% सिकुड़ेगी। चीन की अर्थव्यवस्था में भी ज़बर्दस्त तबाही के संकेत हैं।