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केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कार्यालय में बैठक ली। फ़ोटो साभार: ट्विटर/स्मृति ईरानी

राज्यों में भी मंत्री, अफ़सर दफ़्तर जाने का साहस दिखाएँगे?

केंद्र सरकार के दफ्तरों में मंत्री लोग और बड़े अफ़सर दिखाई पड़े हैं, उससे आप पक्का अंदाज़ा लगा सकते हैं कि अब यही साहस राज्यों की सरकारें भी दिखाना शुरू कर देंगी। धीरे-धीरे छोटे कर्मचारी भी दफ्तरों में आने लगेंगे। इस संबंध में मेरा पहला सुझाव तो यही है कि मध्य प्रदेश में उसके मुख्यमंत्री शिवराज चौहान अपने मंत्रिमंडल का गठन तुरंत कर लें तो इसमें कोई बुराई नहीं है। बिना भीड़-भड़क्का और धूम-धड़क्का किए हुए उनका मंत्रिमंडल भोपाल में शपथ ले सकता है। पिछले तीन-चार हफ्तों से वे ही सरकार चलाने का बोझ अकेले उठा रहे हैं।

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यदि देश के सभी प्रदेशों में वहाँ की सरकारें सक्रिय हो जाएँ तो जनता को ज़बर्दस्त राहत मिलेगी। जनता को यह भी अच्छा लगेगा कि वह तीन-चार हफ्ते बाद अपने डरपोक और घर-घुस्सू नेताओं के दर्शन कर सकेगी। यदि मंत्री बाहर निकलेंगे तो हज़ारों कार्यकर्ता भी मैदान में कूद पड़ेंगे। यह पहल कोरोना-युद्ध में भारत को विजयी बना देगी। इस समय देश के डाॅक्टर, नर्स, पुलिसकर्मी, बैंक कर्मचारी और पत्रकार अपनी जान हथेली पर रखकर लोगों की सेवा में लगे हुए हैं। यदि करोड़ों राजनीतिक कार्यकर्ता भी मैदान में आ गए तो देश की अर्थ-व्यवस्था डांवाडोल होने से बच जाएगी। 

सरकार ने घोषणा की है कि आवश्यक माल ढोनेवाले ट्रकों पर कोई पाबंदी नहीं होगी। उनके ड्राइवरों को तंग नहीं किया जाएगा। मालगाड़ियाँ चल ही रही हैं। राज्य सरकारें अपने-अपने किसानों को फ़सल काटने और बेचने की सुविधा देने पर विचार कर रही हैं। यदि शहरों के कारखाने भी कुछ हद तक चालू कर दिए जाएँ तो प्रवासी मज़दूरों की समस्या भी सुलझेगी। जो अपने गाँवों में लौटना चाहते हैं, उनका इंतज़ाम भी किया जाए। करोड़ों ग़रीबी रेखावाले लोगों को राशन और नकद रुपए सरकार ने पहुँचा दिए हैं। समाजसेवी संस्थाओं ने भी अपने खजाने खोल दिए हैं। 

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दो लाख से ज़्यादा लोगों की जाँच हो चुकी है। सैकड़ों कोरोना मरीज स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। करोड़ों मुखौटे बँट रहे हैं। लोग शारीरिक दूरी बनाकर रखने में पूरी सावधानी बरत रहे हैं। कुछ प्रतिबंधों के साथ रेलें और जहाज भी चलाए जा सकते हैं। अगले दो हफ्तों में भारत कोरोना को मात देकर ही रहेगा।

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डॉ. वेद प्रताप वैदिक
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