उपराष्ट्रपति चुनाव से लेकर बीजेपी अध्यक्ष की नियुक्ति तक पर आरएसएस की भूमिका चर्चा में है। क्या संघ ने अंगद जैसा पैर अड़ाकर मोदी-शाह की रणनीति को मुश्किल बना दिया है? पढ़ें आशुतोष की टिप्पणी।
उपराष्ट्रपति के पद ने दो बातें मोदी को लेकर साफ़ कर दी हैं कि बीजेपी संगठन पर उनकी पकड़ कमजोर हो रही है और उनके पास अब कोई नया नैरेटिव नहीं है। राधाकृष्णन के चयन के साथ ही ये नहीं भूलना चाहिये कि मोदी शाह की जोड़ी डेढ़ साल से बीजेपी का नया अध्यक्ष नहीं नियुक्त कर पायी है।