संयोग से अघोषित आपातकाल पर लिखते समय भारत -पाक झड़पों का सिलसिला, अहमदाबाद में बोईंग हादस में 270 से अधिक लोगों की मृत्यु ने मोदी+शाह सरकार की शासन शैली को झकझोर कर रख दिया है। गृह मंत्री अमित शाह का कथन विवादों में घिर गया है। दूसरी तरफ भारत और पाकिस्तान के अपने अपने दावे हैं। मेरी दृष्टि में दोनों देशों के शासक वर्गों के लिए कश्मीर एक ’सत्ता प्रयोग शाला’ बना हुआ है। आज से नहीं, 1947 के भारत विभाजन के समय से। मेरे लिए यह पहला अवसर है जब दोनों पड़ोसी देशों के बीच हिंसक विस्फोट के क्षणों में मैं विदेश में हूँ। वरना, 1962, 65, 71 और 1999 की जंगों के समय भारत में था। उस दौर में जवाहरलाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और अटलबिहारी वाजपेयी के शासन काल थे। प्रेस की स्वतंत्रता थी। (इंदिरा शासन को छोड़कर) सेंसरशिप नहीं थी। लेकिन, सुरक्षा से सम्बंधित ख़बरों को लेकर सतर्कता ज़रूर बरती जाती थी। लेकिन, आज़ मोदी शासन काल के माहौल की धड़कनों को 15 हज़ार किलो मीटर के फासले से ही अनुभव कर सकता हूँ।