कोरोना पर जीत अभी दीयों, मोमबत्तियों और टॉर्च की रोशनी जितनी ही हासिल हुई है। दीपावली जैसी रोशनी का जश्न मनाने के लिए काफ़ी संघर्ष करना बाक़ी है।
नौ मिनट के आरोपित या स्व-स्वीकारित अंधकार ने जनता के साथ-साथ दिल्ली के नीति-निर्धारकों को भी शायद यह समझने का मौक़ा दिया हो कि देश के कोई तीन करोड़ ‘घर’ अभी भी बिना बिजली के अंधकार में जी रहे हैं। यानी कि उन्हें नौ मिनट के लिए भी बिजली नसीब नहीं है।