इन दिनों राहुल गांधी के विरुद्ध दायर सात्यकी सावरकर के मुक़दमे से जुड़े विवाद के चलते गोडसे और सावरकर परिवारों पर नये सिरे से चर्चा हो रही है। इसमें गांधी जी के हत्यारे नथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे और गोपाल की बेटी हिमानी सावरकर को लेकर भी चर्चा हो रही है!

अक्टूबर, 2004 में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने गोपाल गोडसे और हिमानी सावरकर से लंबी बातचीत की थी। वे दोनों इंटरव्यू हिंदी के एक प्रमुख अख़बार में छपे। वर्षों बाद 2022 में लेखक ने महाराष्ट्र की अपनी यात्रा डायरी से निकालकर उक्त दोनों साक्षात्कारों, गोडसे-सावरकर परिवार के सम्बन्धों और उस दौर के समाज व राजनीति में उनकी भूमिका पर विस्तार से संस्मरणात्मक यात्रा-वृत्तांत लिखा था, जो उनकी किताब ‘मेम का गाँव गोडसे की गली’(2022) में संकलित है। पेश है, उसी आलेख का महत्वपूर्ण हिस्साः

सावरकर और गोडसे की तंग गलियों में

एक पत्रकार को कई बार अपना कार्यक्रम दूसरों के हिसाब से तय करना होता है। कई बार वह बहुत प्रिय और रुचिकर लोगों के बीच होता है तो अनेक बार बेहद अप्रिय लोगों और स्थितियों से भी उसका सामना होता है। अब आज ही देखिये, पुणे में मुझे तीन लोगों से मिलना है। दो लोगों से सुबह का वक़्त तय है और तीसरे से लंच के बाद का। दो लोग रूचिकर हैं- एक श्रमिक नेता हैं और दूसरे सज्जन महाराष्ट्र की राजनीति को अच्छी तरह समझने वाले बुद्धिजीवी हैं। इन दोनों से बातचीत कर जल्दी ही मुझे एक बहुत ज़रूरी जगह पहुँचना है, जहाँ पहले से एक इंटरव्यू तय कर रखा है। आज की मेरी तीनों मुलाकातों में यह सबसे महत्त्वपूर्ण है, जबकि वह व्यक्ति जिसका मुझे इंटरव्यू करना है, वह बिल्कुल ही रूचिकर या प्रिय नहीं है। पर मेरे पत्रकार के लिए वह आज ‘वीआईपी’ है। हो सकता है, मेरी इस महाराष्ट्र-यात्रा का यह सबसे महत्त्वपूर्ण और यादगार इंटरव्यू बने। इस व्यक्ति का इंटरव्यू तय करने के लिए मैंने कई-कई बार फोन किये। कल मुझे सातारा और सांगली की तरफ़ निकलना है। इसलिए पुणे का सारा काम आज देर शाम तक ख़त्म कर लेना चाहता हूँ। आज की पहली और दूसरी मुलाकातों के बीच तकरीबन एक घंटे का वक़्त है। दोनों के घरों के बीच दूरियाँ भी ज़्यादा नहीं हैं। हम आसानी से दूसरे व्यक्ति के यहाँ पहुँच जायेंगे।