अमेरिका जल रहा है और हुकूमतों की चिंता केवल इतनी भर है कि मौजूदा विरोध कितने दिनों तक चलता है। ट्रम्प ने विरोध से निपटने के लिए सेना के प्रयोग और ख़ूँख़ार कुत्तों के इस्तेमाल तक की अगर चेतावनी दी है तो मानकर चला जाना चाहिए कि अपने देश की बहुसंख्यक सवर्ण (गोरी) आबादी का समर्थन उन्हें प्राप्त है जो चुनावों तक जारी रहेगा।
दुनिया भर की जासूसी में लगा देश इस बात का भी पहले से पता नहीं लगा सका कि नागरिक विरोध की आग का धुआँ ठीक व्हाइट हाउस के सामने से भी उठ सकता है और कि तब राष्ट्रपति की सीक्रेट सर्विस के लोग इतने घबरा जाएँगे कि श्वेत भवन की भव्य इमारत की बत्तियाँ ही कुछ क्षणों के लिए गुल करनी पड़ जाएगी।