कोरोना-युद्ध में केंद्र और दिल्ली की सरकार को उसी सख्ती का परिचय देना चाहिए था, जो इंदिरा गांधी ने 1984 में पंजाब में दिया था। दो हफ्ते तक मरकज़े-तब्लीग़ी जमात के जमावड़े को वह क्यों बर्दाश्त करती रही? अब उसका नतीजा सारा देश भुगत रहा है। मेरा अनुमान था कि देश की यह तालाबंदी दो हफ्ते से ज्यादा नहीं चलेगी। भारत में कोरोना वायरस के पिट जाने के कई कारण मैं गिनाता रहा हूं। अब भी कोरोना का हमला भारत में उतना विध्वंसक नहीं हुआ है, जितना कि यह यूरोप और अमेरिका में हो गया है।
कोरोना: आयुर्वेद के घरेलू नुस्खों, आसन-प्राणायाम पर जोर दें सरकारें
- विचार
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- 3 Apr, 2020

प्रतीकात्मक तसवीर।
यह ठीक है कि कोरोना वायरस का पक्का इलाज आयुर्वेद के घरेलू नुस्खों, आसन-प्राणायाम और हमारी परंपरागत चिकित्सा पद्धति के पास नहीं है लेकिन यह एलोपैथी के पास भी नहीं है। एलोपैथी के उपकरणों, अस्पतालों और दवाओं पर अरबों रुपये लुटाने के साथ-साथ यदि भारत सरकार अपनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति पर थोड़ा भी ध्यान देती तो दूसरे राष्ट्रों को भी इस वायरस से लड़ने में बड़ी मदद मिलती।