कोरोना के कहर के बीच गुजरात के हालात कुछ कुछ गुरु दत्त की मशहूर फिल्म के टाइटल जैसे हैं - ‘साहब बीबी और ग़ुलाम’। कोरोना और लॉकडाउन जब से शुरू हुआ तब से राज्य के मुख्यमंत्री, मंत्री समेत पूरी की पूरी पॉलिटिकल लीडरशिप कही नहीं दिख रही है। कोरोना की टर्मिनोलॉजी में कहें तो मानो, 'क्वरेंटीन' में है।
मोदी-शाह के गुजरात में भगवान भरोसे है कोरोना से लड़ाई
- विचार
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- 9 May, 2020

गुजरात में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच राज्य के विकास मॉडल का भी सच सामने आ गया है। मजदूरों से किराए के पैसे वसूले जाने को लेकर सरकार की ख़ासी किरकिरी हो चुकी है।
मुख्यमंत्री विजय रुपाणी का नाम तो लोग अब भूलने लगे हैं, क्योंकि फ्रंट पर और टीवी पर लाइव ब्रीफिंग में भी हर रोज उनके प्रिंसिपल सेक्रेटरी अश्विनी कुमार ‘साहब’ ही दिखते हैं। दूसरा प्रमुख चेहरा है, हेल्थ सेक्रेटरी जयंती रवि का। ‘बीबीजी’ हर शाम टीवी पर लाइव आकर कोरोना के लगातार बढ़ते आंकड़े बताती हैं। अब ‘ग़ुलाम’ कौन है, क्या यह बताने की ज़रूरत है?