कई मूर्ख नेता यह कहते हुए भी पाए गए कि कोरोना हो या कोरोना का बाप हो, गंगा मैया में डुबकी लगाओ कि वह भाग खड़ा होगा। इन अंधविश्वासियों से कोई पूछे कि गंगा में डुबकी लगाने से यदि रोग भागते हों या मोक्ष मिलता हो तो उसमें दिन-रात विहार करनेवाले सारे मगरमच्छ भी क्यों नहीं निर्वाण को प्राप्त होंगे?
यदि गंगा-स्नान स्थगित हो सकता है तो मस्जिदों में नमाज़ के लिए और गिरजाघरों में प्रार्थना के लिए भीड़ लगाने की भी कोई ज़रूरत नहीं है। रमजान के इन दिनों में इफ्तार की पार्टियाँ बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं हैं।