हिंदी दिवस पर मुझे हिंदी की बात करना चाहिए लेकिन मै जाबूझकर हिन्दुस्तान की बात कर रहा हूं। उसी हिन्दुस्तान की जो भारत भी है और इंडिया भी। इस हिन्दुस्तान में हिंदी के मुकाबले हिन्दुस्तानी सियासत की बात करना जरूरी है क्योंकि हिन्दुस्तान की सियासत रंजो-गम से ऊपर उठ चुकी है । आज की सियासत केवल जश्न मनाना जानती है। जश्न में डूबी सियासत को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कहाँ उसके जवान मारे जा रहे हैं और कहाँ लोकतंत्र कराह रहा है।
बाटंने और राज करने में हमने अंग्रेजों को भी पीछे छोड़ दिया है
- विचार
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- 29 Mar, 2025
आज हिन्दी दिवस है। तमाम नेता, अभिनेता बधाई दे रहे हैं। लेकिन बात हिन्दी नहीं, हिन्दुस्तान की होना चाहिए, जिसे बांटा जा रहा है और जिस पर शासन किया जा रहा है।
