यदि सरकार आतंकवादियों, तस्करों, ठगों, हिंसकों, अपराधियों, देशद्रोहियों के ख़िलाफ़ जासूसी करे तो वह सर्वथा उचित है लेकिन यदि ऐसा ही है तो उसे हकलाने, लड़खड़ाने और घबराने की ज़रुरत क्या है? सरकार की इस घबराहट को ‘न्यूयार्क टाइम्स’ ने अब बड़े सिरदर्द में बदल दिया है।
अदालत, विरोधियों और कई प्रबुद्ध पत्रकारों का मानना था कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में कोई भी सरकार नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन नहीं कर सकती।