हैरानी की बात है कि 1857 के रानी झाँसी लक्ष्मीबाई के बलिदान का कारण बने ‘अंग्रेज़ों के मित्र’ जयाजीराव सिंधिया के वंशज और आज भी ख़ुद को ‘श्रीमंत’ कहलाना पसंद करने वाले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी पर इस बात के लिए भड़के हुए हैं कि उन्होंने अपने एक लेख में तमाम राजे-रजवाड़ों की ‘अंग्रेज़ भक्ति’ का उल्लेख किया है। वे इसे ‘भारत माता’ का अपमान बता रहे हैं।
राहुल पर भड़कने से सिंधिया की 'ग़द्दारी' का इतिहास नहीं बदल जाएगा!
- विचार
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- 8 Nov, 2024

सिंधिया घराने के वंशज होने के नाते ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास तमाम पैलेस बरक़रार हैं जबकि सत्तावनवीं क्रांति के प्रतीक रहा लाल क़िला सरकारी संपत्ति है। अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के वंशजों का कोई अता-पता नहीं है।
कुछ दिन पहले इंडियन एक्सप्रेस में ‘ए न्यू डील फ़ॉर इंडियन बिज़नेस’ शीर्षक से छपा यह लेख कॉरपोरेट कंपनियों के एकाधिकार के ख़तरे को चिन्हित करते हुए एक नया आर्थिक प्रस्ताव पेश करता है। राहुल गाँधी ने लिखा है- “ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत की आवाज कुचल दी थी। यह आवाज अपनी व्यापारिक शक्ति से नहीं, बल्कि अपने शिकंजे से कुचली थी। कंपनी ने हमारे राजा-महाराजाओं और नवाबों की साझेदारी से, उन्हें रिश्वत देकर और धमका कर भारत पर शासन किया था। उसने हमारी बैंकिंग, नौकरशाही और सूचना नेटवर्क को नियंत्रित कर लिया था। हमने अपनी आजादी किसी दूसरे देश के हाथों नहीं गँवाई, हमने इसे एक एकाधिकारवादी निगम के हाथों खो दिया, जो हमारे देश में दमन तंत्र को चलाता था। कंपनी ने प्रतिस्पर्धा ख़त्म कर दी। वही यह तय करने लगी कि कौन क्या और किसे बेच सकता है। कंपनी ने हमारे कपड़ा उद्योग और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को भी नष्ट कर दिया था। मैंने कभी नहीं सुना कि कंपनी द्वारा कभी कोई अनुसंधान किया गया। मुझे बस इतना पता है कि कंपनी ने एक क्षेत्र में अफीम की खेती पर एकाधिकार हासिल कर लिया था और दूसरे में नशा करने वालों का एक बाजार विकसित कर लिया था। जब कंपनी भारत को लूट रही थी, तब उसे ब्रिटेन में एक आदर्श कारपोरेट निकाय के रूप में दर्शाया जा रहा था।”