मनुष्य जाति का इतिहास बताता है कि मजहबों, पंथों या तथाकथित धर्मों ने जहां करोड़ों मनुष्यों को नैतिकता और मर्यादा का पाठ पढ़ाया है, वहीं उन्होंने राजनीति से भी ज्यादा गंदी भूमिका अदा की है। इसीलिए जरूरी है कि हम मजहब, पंथ, संप्रदाय और धर्म के नाम पर आपस में लड़ने से बाज आएं।
सारे मजहब मानते हैं कि ईश्वर एक ही है। कोई उसे गाॅड, कोई ईश्वर, कोई अल्लाह, कोई खुदा, कोई यहोवा, कोई अहुरमज्द कहता है। रोजमर्रा की जिंदगी हम किस शैली में गुजारते हैं, इससे उसका क्या लेना-देना है?