यह बात कई बार कही जा चुकी है कि अदालतें 'क़ानून की अदालतें होती हैं, न्याय की नहीं।' यह बात एक बार और घर कर गई जब विशेष सीबीआई अदालत ने बाबरी मसजिद विध्वंस के मामले में फ़ैसला सुनाया, जिसमें सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया गया।

मशहूर पत्रिका 'द सिटीज़न' ने रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी और लेखक माधव गोडबोले का यह लेख प्रकाशित किया। प्रस्तुत है उसका हिन्दी अनुवाद।
यह बात कई बार कही जा चुकी है कि अदालतें 'क़ानून की अदालतें होती हैं, न्याय की नहीं।' यह बात एक बार और घर कर गई जब विशेष सीबीआई अदालत ने बाबरी मसजिद विध्वंस के मामले में फ़ैसला सुनाया, जिसमें सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया गया।