शेखर कुणाल पेशे से पत्रकार हैं। एक साल पहले उनकी नौकरी चली गई। वह मित्रों से मदद लेकर किसी तरह एक साल तक खर्च चलाते रहे। मकान का किराया न चुका पाने के कारण मकान मालिक ने घर में ताला लगाकर भगा दिया और कहा कि किराया दोगे, तभी सामान वापस करेंगे। उन्होंने मदद की अपील की है कि अगर कोई नौकरी दिला सकता है तो उन्हें नौकरी दिला दे।
मुफ़्त खाने के लिये क्यों मजबूर हो गया है मध्य वर्ग?
- विचार
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- 16 Jul, 2021


आर्थिक बदहाली की शिकार हो चुकी भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 की दूसरी लहर कहर बनकर टूट पड़ी है।
साथ ही उन्होंने आर्थिक मदद की भी अपील की है, जिससे कि वे राशन व मित्रों की उधारी चुका सकें। मकान का किराया चुकाकर अपने बंधक सामान व किताब-कॉपी, स्कूल के सर्टिफिकेट व अन्य कागजात मकान मालिक से मुक्त करा सकें।
शेखर कुणाल इकलौते नहीं हैं। आर्थिक बदहाली की शिकार हो चुकी भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 की दूसरी लहर कहर बनकर टूट पड़ी है। मध्य वर्ग के लोग लंगर की कतारों में आ गए हैं और जान की भीख मांग रहे हैं।

























