मध्य प्रदेश सरकार ‘लव जिहाद’ के ख़िलाफ़ क़ानून बनाने वाली है। ऐसी घोषणा उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक की सरकारों ने भी की है। कोई आश्चर्य नहीं कि बीजेपी की सारी सरकारें इस तरह का क़ानून बना दें। इस क़ानून के तहत उन सब लोगों को पांच साल की सजा होगी, जो लड़कियों को शादी के नाम पर बहकाने, बलपूर्वक शादी करने और धर्मांतरण के लिए मजबूर करते हैं।
लव जिहाद: क्यों पड़ी क़ानून लाने की ज़रूरत?
- विचार
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- 20 Nov, 2020

कुछ लोगों का मानना है कि बीजेपी की सरकारें यह क़ानून इसलिए ला रही हैं क्योंकि वे मुसलमान-विरोधी हैं? हिंदू लड़कियां मुसलमान न बन सकें, इसीलिए यह क़ानून लाया जा रहा है। यह सच्चाई नहीं है। यदि यह क़ानून बनेगा तो ऐसा बनेगा, जो हिंदू-मुसलमानों पर एक जैसा लागू होगा। न तो लालच या डर के मारे हिंदू लड़कियों को मुलसमान बनाया जा सकेगा और न ही मुसलमान लड़कियों को हिंदू! दोनों पर यह क़ानून समान रूप से लागू होगा।
पीड़िता के रिश्तेदारों की शिकायत पर दोषियों को गिरफ्तार किया जाएगा और उनकी जमानत भी नहीं होगी। इस तरह का कठोर क़ानून लाने की ज़रूरत क्यों समझी जा रही है?