सीएए-एनआरसी का विरोध करने वाले लोगों को दंगों का अभियुक्त बनाने, उन पर यूएपीए और राजद्रोह का मुकदमा लगाने से कई सवाल खड़े होते हैं। राजनीतिक विरोधियों से राजनीतिक तरीकों से निपटने के बजाय राज सत्ता का दुरुपयोग करते हुए विरोध की आवाज़ को दबाया जा रहा है। यह भारत तक सीमित नहीं है। दुनिया के कई देशों में है।