मोहन भागवत जो कह रहे हैं वे अगर उसे हक़ीक़त में बदल कर दिखा दें तो दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार ‘नोबेल पीस प्राइज’ उन्हें मिल जाएगा और संघ के नेतृत्व में एक अहम मसले पर विश्व में शांति स्थापित हो जाएगी। जो काम महात्मा गांधी अपनी शहादत के बावजूद पूरा नहीं कर सके, बापू के धुर विरोधी संगठन राष्ट्रीय सेवक संघ के शिखर पुरुष अपनी आँखों के सामने होता हुआ देख लेंगे।
भागवत का कहा मान लिया तो सत्ता और धार्मिक रोज़गार का क्या होगा?
- विचार
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- 29 Mar, 2025

भागवत का इशारा जिन भी ‘लोगों’ की तरफ़ रहा हो वे विपक्षी दलों के तो हरगिज़ ही नहीं हो सकते। तो फिर कौन हैं? नाम लेकर साफ़-साफ़ बोलने से भागवत क्यों कतरा रहे हैं? दाएँ-बाएँ की राजनीति कब तक करते रहेंगे?
मोदी और भागवत जब कभी कुछ बोलते हैं आत्माएं झकझोर देते हैं। उनके कहे के अनेक भाष्य होने लगते हैं। इसलिए दोनों से ही लोग उनके न चाहते हुए भी डर-डर कर रहते हैं। मोदी के कारण उनके राजनीतिक विरोधी और भागवत के कारण संघ की नज़रों के कथित ‘विधर्मी’।