आज की राजनीति में प्रतीक गढ़ने का अपना एक मज़ा है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी यह मज़ा स्वयं भी लेते हैं और जनता को भी भरपूर लुटाते हैं। 2014 में मोदी जी ने ‘अच्छे दिन’ लाने का वादा किया था। चुनावी सभाओं में मोदी बोलते थे, ‘अच्छे दिन’ और जनता पीछे से बोलती थी ‘आयेंगे’। अब मोदीजी का ‘अच्छे दिन’ से क्या अभिप्राय था, उन्होंने कभी पूरी तरह से इसे समझाया नहीं। हाँ, जब हज़ारों लोग हाथ उठा के ‘आयेंगे’ बोलते थे तो उनके चेहरे पर चमक साफ़ दिखाई देती थी।