प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख में भाषण देते हुए नाम लिए बग़ैर चीन को विस्तारवादी क़रार दिया। क्या सचमुच चीन विस्तारवादी है? जस्टिस मार्केंडेय काटजू का क्या मानना है? पढें उनका यह लेख।
चीन आज निस्संदेह नात्सी जर्मनी की तरह एक साम्राज्यवादी विस्तारवादी ताक़त है, और 1930 और 1940 के दशक में नात्सियों की तरह विश्व शांति के लिए सबसे बड़ा ख़तरा भी।
यही असली कारण है कि चीनी सैनिकों ने गलवान घाटी, पैंगॉन्ग त्सो, हॉट स्प्रिंग्स, डेमचोक, फाइव फिंगर्स में घुसपैठ की और निस्संदेह लद्दाख में और घुसने की कोशिश करेंगे।