भारत-चीन के बीच 11वें दौर की बातचीत कोर कमांडर स्तर पर 10 अप्रैल को खत्म हुई। द्विपक्षीय बातचीत को कभी बेनतीजा कहना सही नहीं होता क्योंकि बातचीत का जारी रहना भी फलदायी होता है। मगर, फरवरी महीने में दोनों देशों की सेनाओं को पीछे हटाने की जो ‘उपलब्धि’ हासिल की गयी थी उससे आगे ऐसी कोई बात नहीं हुई है जिसे उपलब्धि कहा जा सके।
बातचीत कैसे हो सफल जब ‘दबाव’ झटक चुका है चीन?
- विचार
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- 13 Apr, 2021


बदली हुई परिस्थिति में सामरिक और कूटनीतिक रणनीति की समझ रखने वाले यह मानकर चल रहे हैं कि चीन का रुख अब मुलायम होने वाला नहीं है और भारत के लिए कोई उपलब्धि हासिल करना टेढ़ी खीर है।
बदली हुई परिस्थिति में सामरिक और कूटनीतिक रणनीति की समझ रखने वाले यह मानकर चल रहे हैं कि चीन का रुख अब मुलायम होने वाला नहीं है और भारत के लिए कोई उपलब्धि हासिल करना टेढ़ी खीर है।



























