loader

पीटीआई को सरकारी धमकी, प्रसार भारती को फटकार लगाए सरकार 

अब पीटीआई ने क्या ग़लती की है? सरकारी चिट्ठी में उस पर आरोप लगाया गया है कि उसने नई दिल्ली स्थित चीनी राजदूत सुन वीदोंग और पेइचिंग स्थित भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी से जो भेंट-वार्ताएँ प्रसारित की हैं, वे राष्ट्र विरोधी हैं और वे चीनी रवैए का प्रचार करती हैं। उनसे हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य का खंडन होता है। 
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया (पीटीआई) देश की सबसे पुरानी और सबसे प्रामाणिक समाचार समिति है। मैं दस वर्ष तक इसकी हिंदी शाखा ‘पीटीआई—भाषा’ का संस्थापक संपादक रहा हूँ। उस दौरान चार प्रधानमंत्री रहे लेकिन किसी नेता या अफ़सर की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह फ़ोन करके हमें किसी ख़बर को ज़बर्दस्ती देने के लिए या रोकने के लिए आदेश या निर्देश दे लेकिन अब तो प्रसार भारती ने लिखकर पीटीआई को धमकाया है कि उसे सरकार जो 9.15 करोड़ रुपये की वार्षिक फ़ीस देती है, उसे वह बंद कर सकती है। यह राशि पीटीआई को विभिन्न सरकारी संस्थान जैसे आकाशवाणी, दूरदर्शन, विभिन्न मंत्रालय, हमारे दूतावास आदि, जो उसकी समाचार-सेवाएँ लेते हैं, वे देते हैं। 

ताज़ा ख़बरें

यह धमकी वैसी ही है, जैसी कि आपातकाल के दौरान इंदिरा सरकार ने हिंदी की समाचार समितियों- ‘हिंदुस्थान समाचार’ और ‘समाचार भारती’ को दी थी। मैंने ‘हिंदुस्थान समाचार’ के निदेशक के रूप में इस धमकी को रद्द कर दिया था। मैं अकेला पड़ गया। मेरे अलावा सबने घुटने टेक दिए और इन दोनों एजेंसियों को उस समय पीटीआई में मिला दिया गया। क्या पीटीआई को दी गई यह धमकी कुछ वैसी ही नहीं है? मैं पीटीआई के पत्रकारों से कहूँगा कि वे डरें नहीं। डटे रहें। 1986 में बोफोर्स कांड पर जब जिनीवा से चित्रा सुब्रह्मण्यम ने घोटाले की ख़बर भेजी तो ‘भाषा’ ने उसे सबसे पहले जारी कर दिया। प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और उनके अफ़सरों की हिम्मत नहीं हुई कि वे मुझे फ़ोन करके उसे रुकवा दें।

अब पीटीआई ने क्या ग़लती की है? सरकारी चिट्ठी में उस पर आरोप लगाया गया है कि उसने नई दिल्ली स्थित चीनी राजदूत सुन वीदोंग और पेइचिंग स्थित भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी से जो भेंट-वार्ताएँ प्रसारित की हैं, वे राष्ट्र विरोधी हैं और वे चीनी रवैए का प्रचार करती हैं। उनसे हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य का खंडन होता है। हमारे राजदूत ने कह दिया कि चीन गलवान घाटी में हमारी ज़मीन खाली करे जबकि मोदी ने कहा था कि चीन हमारी ज़मीन पर घुसा ही नहीं है। 

विचार से ख़ास

इसी तरह चीनी राजदूत ने भारत को चीनी-ज़मीन पर से अपना क़ब्ज़ा हटाने की बात कही है। यही बात चीनी विदेश मंत्री ने हमारे विदेश मंत्री से कही थी। मेरी समझ में नहीं आता कि इसमें पत्रकारिता की दृष्टि से राष्ट्र विरोधी काम क्या हुआ है? यह पत्रकारिता का कमाल है कि वह दुश्मन से भी उसके दिल की बात उगलवा लेती है। जो काम नेता और राजदूत के भी बस का नहीं होता, उसे पत्रकार पलक झपकते ही कर डालते हैं। उन पर राष्ट्र विरोधी होने की तोहमत लगाकर प्रसार भारती अपनी प्रतिष्ठा को ही ठेस लगा रही है। मैं समझता हूँ कि सरकार को चाहिए कि प्रसार भारती के मुखिया अफ़सर को वह फटकार लगाए और उसे खेद प्रकट करने के लिए कहे।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें