बिहार की सड़कों पर इस समय जो प्रकट हो रहा है वह केवल राहुल गांधी के प्रति समर्थन नहीं है! वे जो हज़ारों-लाखों की संख्या में राहुल की जय-जयकार करते दिखाई दे रहे हैं वे हक़ीक़त में दिल्ली की सत्ता के ख़िलाफ़ अपनी उस नाराज़गी को ज़ुबान दे रहे हैं जो पिछले ग्यारह सालों से ख़ौफ़ के पहरों में क़ैद थी। सब्र का कोई बांध जैसे भर-भराकर टूट पड़ रहा हो! पहले जनता डरी हुई थी। अब हुकूमत डर रही है! डर सत्ता के नुमाइंदों की बौखलाहट में उनके चेहरों पर नज़र भी आ रहा है। प्रधानमंत्री का विपक्ष के प्रति कोप उस बौखलाहट की सामूहिक अभिव्यक्ति है।