प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिंदूवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के बीच उम्र में एक सप्ताह से भी कम का फ़ासला है। डॉ. भागवत प्रधानमंत्री से केवल छह दिन बड़े हैं। यह एक अलग से चर्चा का विषय हो सकता है कि इतने बड़े संगठन के सरसंघचालक का जन्मदिन बीजेपी-शासित राज्यों में भी उतनी धूमधाम से साथ क्यों नहीं मनाया जाता जितनी शक्ति और धन-धान्य ख़र्च करके प्रधानमंत्री का प्रकटोत्सव आयोजित किया जाता है।
राजनीति निगेटिव चलेगी, मीडिया पॉजिटिव चाहिए!
- विचार
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- 25 Sep, 2021

डॉ. भागवत से विनम्रतापूर्वक सवाल किया जा सकता है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबानी हुकूमत की वापसी का अपने सोशल मीडिया चुनावी प्रचार में इस्तेमाल करके बीजेपी उत्तर प्रदेश की कोई पाँच करोड़ मुसलिम आबादी और कोई सोलह करोड़ हिंदुओं को किस तरह का पॉजिटिव संदेश पहुँचाना चाहती है?
और इस बार तो सब कुछ विशेष ही हो रहा है। जन्मदिन मनाने से ज़्यादा महत्वपूर्ण यह माना जा सकता है कि डॉ. भागवत इस समय अपनी पूरी ऊर्जा सरकार, संगठन और हिंदुत्व को ताक़त प्रदान करने में ख़र्च कर रहे हैं। इस काम के लिए वह देश भर में दौरे कर रहे हैं और भिन्न-भिन्न वर्गों के लोगों से बातचीत कर उनके मन की बात टटोल रहे हैं।