विश्व में इतिहास को तोड़ने-मोड़ने का प्रशिक्षण देने वाले सबसे बड़े गुरुकुल आरएसएस से स्नातक हुए देश के मौजूदा हिन्दुत्ववादी शासक इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकालीन शासन (1975-77) की हर बरसी पर बढ़-चढ़ कर आलोचना करते हैं। उनके अनुसार देश में प्रजातंत्र बचा हुआ है क्योंकि "सरकार चला रहे नेता (आरएसएस से जुड़े) उनमें से हैं जिन्होंने [आपातकाल के ख़िलाफ़] आज़ादी की लड़ाई लड़ी। वे उदारवादी प्रजातान्त्रिक मूल्यों के प्रति समर्पित हैं, किसी मजबूरी की वजह से नहीं बल्कि एक धर्मसिद्धान्त के तौर पर।"
इमरजेंसी: आपातकाल में RSS ने की इंदिरा गाँधी की चाकरी!
- विचार
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- 25 Jun, 2025

क्या इमरजेंसी के दौर में आरएसएस ने इंदिरा गांधी की चुपचाप मदद की थी? इस ऐतिहासिक दावे पर उठे सवालों के बीच जानिए किन दस्तावेज़ों और बयानों से यह आरोप मजबूत हुआ है।
यानी भाजपा-आरएसएस से जुड़े शासक उदारवादी प्रजातान्त्रिक मूल्यों के प्रति समर्पित हैं और उन्होंने आपातकालीन शासन के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी थी। ये दोनों दावे सफ़ेद झूठ हैं क्योंकि आरएसएस-भाजपा राज में एक तरह से अघोषित आपातकाल लागू है जिसका शिकार, आम लोग, राजनैतिक व सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, मज़दूर, छात्र, महिला, शिक्षक, किसान संगठन, दलित, अल्प-संख्यक समुदाय, यहाँ तक कि अदालतें भी हो रही हैं। विश्व में प्रजातंत्र को मापने के जो मापदंड हैं उनके अनुसार मोदी राज में भारत की गिनती तानाशाही वाले देशों के साथ की जा रही है।