RSS अपने शताब्दी वर्ष की तैयारी में है और संगठन के प्रमुख के हालिया बयानों को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या वे संघ का असली दृष्टिकोण प्रकट करते हैं। जानें राम पुनियानी क्या लिखते हैं।
एक तरह से भागवत के नेतृत्व में संघ परिवार मुसलमानों के प्रति नफरत बढ़ाने वाले हर कदम का समर्थन कर रहा है। आखिर 2018 के व्याख्यान का लक्ष्य क्या था? यह साफ है कि वह न तो पेरोस्त्रोईका था और ना ही यह कयास सही था कि आरएसएस में बदलाव आ रहा है।