सभी मानते हैं कि आज दिल्ली का जो भव्य रुप है, उसका श्रेय शीलाजी को ही जाता है। सभी लोग उन्हें मेट्रो रेल, सड़कों, पुलों, नई-नई बस्तियों और भव्य भवनों के निर्माण का श्रेय दे रहे हैं। लेकिन मैं मानता हूँ कि यदि शीला जी को मौक़ा मिलता तो वह भारत की उत्तम प्रधानमंत्री भी सिद्ध होतीं।
ऐसे कई काम हिंदी के लिए मैंने उन्हें जब भी बताए, उन्होंने सहर्ष कर दिए। उनमें सहजता और आत्मीयता इतनी थी कि यदि किसी सभा में वह मंच पर बैठी हों और मैं नीचे श्रोताओं में, तो अक्सर मुझे वह आग्रहपूर्वक अपने साथ मंच पर बुला ले जातीं।