मैं निगेटिविटी से दूर रहने की भरसक कोशिश कर रहा हूँ लेकिन रहा नहीं जा रहा हैं। बीजेपी ने एक फ़िल्म को ढाल बनाया है और देश में जो होता हुआ दिख रहा है, उस पर मेरा विवेक चुप रहने की इजाज़त नहीं देता, क्योंकि खुलेआम कुछ प्रचलित प्रथाएँ टूटते देख रहा हूँ। ऐसे में इतिहास कल उन तटस्थों से भी सवाल करेगा जो ये सब होते देख भी ख़ामोश हैं।