मैं निगेटिविटी से दूर रहने की भरसक कोशिश कर रहा हूँ लेकिन रहा नहीं जा रहा हैं। बीजेपी ने एक फ़िल्म को ढाल बनाया है और देश में जो होता हुआ दिख रहा है, उस पर मेरा विवेक चुप रहने की इजाज़त नहीं देता, क्योंकि खुलेआम कुछ प्रचलित प्रथाएँ टूटते देख रहा हूँ। ऐसे में इतिहास कल उन तटस्थों से भी सवाल करेगा जो ये सब होते देख भी ख़ामोश हैं।
‘द कश्मीर फाइल्स’: क्या 1984, 2002 के ज़ख्मों को कुरेदना सही होगा?
- विचार
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- 18 Mar, 2022

द कश्मीर फाइल्स फिल्म पर जबरदस्त विवाद है फिर भी इसे सरकार बढ़ावा दे रही है। क्या किसी ऐसी फिल्म को चलाने की इजाजत भी मिलनी चाहिए जिससे नफरत को बढ़ावा मिलता हो?
अतीत को कलंकित करने वाली हमारे इतिहास में कई घटनाएँ हुई हैं तो क्या बरसों बाद सच दिखाने के नाम पर (सच कहें तो एजेंडा के तहत) पूरी छूट दे दी जाए?