स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल की तिकड़ी क़रीब 30 साल तक बनी रही। महात्मा गाँधी स्वतंत्र भारत की सत्ता के भागीदार नहीं बने, लेकिन नेहरू और पटेल ने सरकार में पहले और दूसरे स्थान पर बैठकर दो वर्ष तक साथ-साथ सत्ता चलाई थी। दोनों के बीच वैचारिक टकराव की तरह-तरह की चर्चाएँ होती हैं, नीतियों को लेकर दोनों में मतभेद भी थे। लेकिन उनका आपसी प्रेम अंतिम समय तक बना रहा।
सरदार वल्लभभाई पटेल ने जब सत्ता संभाली तो सरकारी प्रमाणपत्र की जन्मतिथि 31 अक्टूबर 1875 के मुताबिक़ वह 72 साल की उम्र पार कर चुके थे। एक मत यह भी था कि ज़्यादा उम्र होने के कारण उन्होंने प्रधानमंत्री पद को लेकर अनिच्छा जताई। उन्होंने भारत के एकीकरण का काम अपने हाथों में लिया और महज 2 साल के भीतर क़रीब 500 रजवाड़ों वाले महाद्वीप को एक देश के रूप में खड़ा कर दिया।