बिहार चुनाव से पहले एक गज़ब का खुलासा हुआ। दिल्ली में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार की मुस्कान ने सबको चौंका दिया। बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान करते हुए जब उनसे पूछा गया था कि विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) में कितने विदेशी घुसपैठिए पकड़े गए, तो उन्होंने रहस्यमयी अंदाज में मुस्कुराकर बात टाल दी। कहा कि डेटा राजनीतिक दलों को दे दिया गया है, लेकिन कोई संख्या या सबूत नहीं दिया। यह 7 अक्टूबर 2025 की प्रेस कॉन्फ्रेंस थी, जहां ज्ञानेश कुमार ने बिहार की मतदाता सूची को 22 साल बाद "शुद्ध" करने का दावा किया, लेकिन घुसपैठियों पर चुप्पी ने सवालों का तूफान खड़ा कर दिया।
चुनाव आयोग ने चौंकाया - घुसपैठिया नहीं मिल पाया?
- विचार
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- 9 Oct, 2025

प्रतीकात्मक तस्वीर
बिहार SIR की समीक्षा में चुनाव आयोग को क्या कथित ‘घुसपैठियों’ का कोई सबूत मिला? चुनाव आयोग के अनुसार ऐसे कितने लोगों के नाम काटे गए?
बात समझिए। भाजपा और उसके सहयोगी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) वर्षों से बांग्लादेशी, रोहिंग्या और नेपाली घुसपैठियों का डर फैलाकर हिंदू वोटरों को एकजुट करते रहे हैं। बिहार में 2025 के चुनाव से पहले यही कहकर एसआईआर अभियान चलाया गया, जहां लाखों नाम काटे गए। मकसद बताया गया - विदेशी घुसपैठियों को पकड़ना। लेकिन अंतिम रिपोर्ट में क्या निकला?