पटना के निकट बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर, बौद्ध धर्म के अनुयायियों का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थान है क्योंकि भगवान गौतम बुद्ध को यहीं निर्वाण प्राप्त हुआ था। इस मंदिर का संचालन बोधगया मंदिर अधिनियम, 1949 के प्रावधानों के अनुसार होता है और बीटीएमसी (बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति) इसका प्रबंधन करती है। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, मंदिर के नियंत्रण मंडल में हिंदू और बौद्ध समान संख्या में होते हैं। इस साल फरवरी से कई बौद्ध भिक्षु इन प्रावधानों का विरोध कर रहे हैं। उनकी मांग है कि मंदिर के क्रियाकलापों का संचालन करने वाले इस मंडल के सभी सदस्य बौद्ध हों।
बोधगया के महाबोधि मंदिर पर किसका नियंत्रण हो?
- विचार
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- 7 Jun, 2025

बोधगया के ऐतिहासिक महाबोधि मंदिर पर नियंत्रण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। बौद्ध समुदाय का कहना है कि मंदिर का प्रशासन पूरी तरह बौद्धों के हाथों में होना चाहिए। जानिए इस मुद्दे का इतिहास और वर्तमान स्थिति।
वैसे, इस विरोध का लंबा इतिहास है क्योंकि नियंत्रण मंडल की मिश्रित प्रकृति के कारण धीरे-धीरे मंदिर का ब्राम्हणीकरण होता जा रहा है। विरोध में धरने पर बैठे आकाश लामा ने उनके विरोध को समझाते हुए कहा, ‘यह मात्र एक मंदिर का सवाल नहीं है। यह हमारी पहचान और गौरव का सवाल है। हम अपनी मांगें शांतिपूर्ण ढंग से सामने रख रहे हैं। जब तक हमें सरकार से लिखित आश्वासन नहीं मिलेगा, तब तक अनिश्चित काल तक, हमारा विरोध जारी रहेगा’। धरने पर बैठे भिक्षुकों का कहना है कि ‘महाबोधि महाविहार का ब्राम्हणीकरण किया जा रहा है। प्रबंधन और समारोहों में ब्राम्हणवादी अनुष्ठान बढ़ते जा रहे हैं, जिससे बौद्ध समुदाय की आस्था और विरासत को गहरी चोट पहुंच रही है’।