1975 का यह वह समय था जब गांधीवादी जननेता जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के नीतियों, कार्य शैलियों और उभरती अधिनायकवादी प्रवृत्तियों के प्रतिरोध में सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान किया गया था। इतना ही नहीं, जयप्रकाश जी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित सार्वजनिक सभा के मंच से सेना, पुलिस, नौकरशाही से इंदिरा सरकार के गैर-संवैधानिक आदेशों पर अमल  नहीं करने के लिए भी कहा था। कोई भी निर्वाचित प्रधानमंत्री इस स्थिति को सहन नहीं कर सकता था। (यदि कोई भी विपक्षी नेता या पत्रकार  वर्तमान मोदी शासन के दौरान ऐसा कहने की हिमाक़त करेगा तो वह तुरंत ही ‘देशद्रोही, राष्ट्रद्रोही और राज्यद्रोही, ग़द्दार आदि तमगों से घिर जायेगा और गिरफ्तार कर लिया जायेगा।) प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी, सम्पूर्णक्रांति के सूत्रधार के ऐसे विस्फोटक शब्दों को सहन नहीं कर सकीं और चंद घंटों के बाद ही आपातकाल की घोषणा कर दी गई। भारत के संविधान में तीन प्रकार के आपातकाल के प्रावधान हैं: