‘हार्वर्ड पर हार्डवर्क भारी’ जुमले वाली मोदी सरकार को यह समझने में पूरे पाँच साल कैसे लगे कि उसके आयकर एवं अप्रत्यक्ष कर ओमबड्समैन यानी लोकपाल किसी खेत में खड़े बजूका जितने भी असरदार नहीं है। इसी बिनाह पर साल 2019 में इन लोकपालों के पद ही ख़त्म कर देने वाली बीजेपी सरकार अब फिर कर-लोकपाल संस्था गठित करने जा रही है। तुर्रा यह कि उसे व्यापक अधिकारों से लैस किया जाएगा जबकि सूचना के अधिकार को बीजेपी सरकार ने पिछले छह साल में भोथरा ही कर दिया!
सरकार ‘कर-लोकपाल’ का झुनझुना क्यों बजा रही है?
- विचार
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- 8 Feb, 2021


कर-लोकपाल की ज़रूरत मुख्य आर्थिक सलाहकार के. वी. सुब्रमण्यन ने साल 2021 के आर्थिक सर्वेक्षण में बताई है। उनके अनुसार कर-लोकपाल, आयकरदाताओं सहित तमाम करदाताओं के अधिकारों की निगरानी के लिए ज़रूरी है।
कर-लोकपाल की ज़रूरत
कर-लोकपाल की ज़रूरत मुख्य आर्थिक सलाहकार के. वी. सुब्रमण्यन ने साल 2021 के आर्थिक सर्वेक्षण में बताई है। उनके अनुसार कर-लोकपाल, आयकरदाताओं सहित तमाम करदाताओं के अधिकारों की निगरानी के लिए ज़रूरी है। यह बात क्या मोदी सरकार 2019 में इस संस्था को रद्द करते समय भूल गई थी?


























