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फाइल फोटो

लोकसभा चुनाव के लिए केसीआर, ओवैसी बनाएँगे थर्ड फ्रंट? जानें वजह

क्या अब वे दल एक और गठबंधन बनाएँगे जो एनडीए और 'इंडिया' गठबंधन में नहीं हैं? कम से कम एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने तो ऐसी ही बात कही है। कई ऐसे दल हैं जो दोनों में से किसी खेमे में नहीं हैं। ओवैसी ने वैसे दलों को लेकर एक थर्ड फ्रंट बनाने की वकालत की है।

'इंडिया' गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित नहीं किए जाने पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की यह टिप्पणी आई है। उन्होंने एक दिन पहले एएनआई से कहा, 'मुझे आमंत्रित नहीं किए जाने की कोई परवाह नहीं है। बसपा प्रमुख मायावती, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव और पूर्वोत्तर और महाराष्ट्र की कई पार्टियां भी इस गठबंधन की सदस्य नहीं हैं।' उन्होंने आगे कहा, '...हमने तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर से आगे बढ़ने और तीसरा मोर्चा बनाने और इसमें कई दलों को शामिल करने के लिए कहा है। एक राजनीतिक शून्य है जो केसीआर के नेतृत्व करने पर भर जाएगा। इंडिया गठबंधन इस शून्य को भरने में सक्षम नहीं है।'

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वैसे, ओवैसी ने जिन दलों का नाम लिया उनको विपक्षी इंडिया गठबंधन में शामिल दल बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगाते रहे हैं। वे आरोप लगाते रहे हैं कि इनकी बीजेपी से सांठगांठ है और इस वजह से बीजेपी इन दलों के नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं करती है। 

राहुल गांधी ने एक दिन पहले ही ऐसे आरोप लगाए हैं। हैदराबाद में सीडब्ल्यूसी की बैठक ख़त्म होने के बाद एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल ने केसीआर के नेतृत्व वाली बीआरएस सरकार पर जमकर निशाना साधा। राहुल गांधी ने बीआरएस और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को बीजेपी की बी टीम भी कहा।

राहुल ने कहा, 'क़रीब-क़रीब हर एक विपक्षी नेता के खिलाफ केस है और ईडी, सीबीआई व आयकर विभाग की टीम विपक्षी नेताओं के पीछे लगी हुई है। लेकिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री और एआईएमआईएम प्रमुख के खिलाफ कोई केस नहीं है। सिर्फ विपक्ष पर हमला होता है, मोदी जी अपने लोगों पर हमला नहीं करते हैं। वे केसीआर और एआईएमआईएम को अपना मानते हैं इसलिए इनके खिलाफ कोई केस नहीं है। केसीआर सरकार ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए लेकिन ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स का कोई भी केस नहीं है।'

हाल ही में मायावती को लेकर भी इंडिया गठबंधन के नेता का बयान आया था। 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले तटस्थ होने के बारे में बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती के बयान के बारे में पूछे जाने पर शरद पवार ने कहा था, 'मायावती ने अभी भी भाजपा के साथ अपना संपर्क बनाया हुआ है, इसलिए उनसे इस बारे में और स्पष्टता की ज़रूरत है।'
तो क्या थर्ड फ्रंट इंडिया गठबंधन को चुनौती दे पाएगा? वैसे, थर्ड फ्रंट में जिन दलों की बात की जा रही है उनकी पहुँच या तो बहुत सीमित है या वे सिमट गई हैं।

माना जा रहा है कि मायावती का यूपी सहित अन्य जगहों पर जनाधार काफ़ी ज़्यादा सिमट गया है। तेलंगाना में इस बार केसीआर की पार्टी की हालत ख़राब होने की चर्चा है। ओवैसी का जनाधार भी काफ़ी हद तक सीमित है। यदि बाक़ी दल भी इनके साथ जुड़ते हैं तो उनका भी कोई ख़ास जनाधार नहीं है। 

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इसके विपरीत विपक्षी इंडिया गठबंधन में 26 दल शामिल हैं। ये वे दल हैं जो देश भर के अलग-अलग राज्यों में या तो प्रमुख दल हैं या फिर उनके प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता है। चाहे बिहार में जेडीयू, आरजेडी का मामला हो या तमिलनाडु में डीएमके, जम्मू कश्मीर में एनसी व पीडीपी, यूपी में सपा, पश्चिम बंगाल में टीएमसी, पंजाब व दिल्ली में आप, झारखंड में जेएमएम या फिर महाराष्ट्र में शिवसेना यूबीटी व शरद पवार की एनसीपी का। इनके अलावा पूरे देश में अच्छी खासी उपस्थिति रखने वाली कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन में है। 

कहा जा रहा है कि इंडिया गठबंधन मौजूदा सीटों के हिसाब से देश की 60 फ़ीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। इस लिहाज से थर्ड फ्रंट कहीं नहीं टिकता हुआ दिखता है। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में भी अब बड़े क्षेत्रीय दल की उपस्थिति न के बराबर है। उसके सभी पुराने साथी छोड़कर चले गए हैं। हालाँकि, वह प्रयास में है कि कई दलों को जोड़ा जाए, और उसने बड़ी संख्या में दलों को एनडीए में शामिल किया है, लेकिन उनका जनाधार बेहद सीमित है। अब कौन सा मोर्चा या गठबंधन कैसा कमाल करता है यह तो लोकसभा चुनाव में ही पता चलेगा।

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क़मर वहीद नक़वी
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