कांग्रेस से एक के बाद एक नेता छोड़कर क्यों जा रहे हैं? वह भी राहुल के सबसे क़रीबी रहे नेता तक? खासकर वैसे नेता जो बेहद कम उम्र में मंत्री बन गए थे और जिनका परिवार कट्टर कांग्रेस समर्थक रहा था? और इसमें भी कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की भाषा एक जैसी। राहुल गांधी की आलोचना और पीएम मोदी की जमकर तारीफ़। एकनाथ शिंदे की पार्टी में शामिल होने वाले मिलिंद देवड़ा तक की भाषा भी ऐसी है! क्या जानबूझकर ऐसा कराया जा रहा है और राहुल व कांग्रेस को निशाना बनाया जा रहा है?