मोदी ने जब जयंत सिन्हा को अपने मंत्रिमंडल से हटाया था, तभी से सिन्हा ने पार्टी से दूरी बनाना शुरू कर दी थी। वो जानते थे कि हजारीबाग सिन्हा खानदान का गढ़ रहा है। इसलिए मार्च में जयंत सिन्हा ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर भाजपा पर अपना दबाव बना दिया। सिन्हा ने भाजपा नेतृत्व से उन्हें चुनावी राजनीति से मुक्त करने का अनुरोध भी किया। जयंत सिन्हा और उनके पिता यशवंत सिन्हा ने 1998 से 26 वर्षों से अधिक समय तक हजारीबाग का प्रतिनिधित्व किया है। भाजपा सिन्हा खानदान की ताकत जानती है। इसलिए अब पार्टी यशवंत सिन्हा की तरह उनके बेटे से भी छुटकारा पाना चाहती है। लेकिन इस कारण बताओ नोटिस का जयंत सिन्हा पर शायद ही कोई असर पड़े।