कांग्रेस ने दावा किया कि गडकरी के बेटे की कंपनी का रेवेन्यू एक साल में 18 करोड़ से बढ़कर 723 करोड़ हो गया। इसके साथ ही इसने अमित शाह के बेटे जय शाह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया का नाम लिया।
गडकरी के बेटे की कंपनी का रेवेन्यू 3916% बढ़ा, पीएम के भतीजों की फौज में T20, E20 वाले: कांग्रेस
क्या मोदी सरकार के मंत्री अपने बेटों को फायदा पहुँचाने के लिए नीतियाँ बना रहे हैं? कांग्रेस ने तो कम से कम यही ही आरोप लगाया है। पार्टी ने दावा किया कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा जोर-शोर से लागू की जा रही
केंद्र सरकार की इथेनॉल मिश्रण नीति से उनके बेटों की कंपनियों को असाधारण लाभ हुआ है। पार्टी ने नितिन गडकरी के बेटे निखिल गडकरी और सारंग गडकरी के अलावा अमित शाह के बेटे जय शाह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया का नाम लिया है। प्रेस कॉन्फ़्रेस कर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पीएम मोदी का नाम लेते हुए कहा कि 'प्रधानमंत्री के पास भतीजों की फौज है, कुछ T20 वाले हैं, कुछ E20 वाले हैं।' जय शाह आईसीसी चेयरमैन हैं, जबकि सिंधिया के बेटे हाल ही में मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने हैं। हालाँकि, बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज किया है।
पवन खेड़ा ने कहा, '7 अगस्त से अबतक पूरे देश में एक ही नारा बुलंद हो रहा है: वोट चोर - गद्दी छोड़। ये सिर्फ नारा नहीं है, बल्कि हकीकत है। देश में वोट चोरी के अलावा जनता की जेब भी काटी जा रही है। पिछले 11 साल से चुराई हुई कुर्सी पर बैठे प्रधानमंत्री, उनके मंत्री और उनके परिवार वाले भी बहुत कुछ कर रहे हैं। एक तरफ- ताऊ जी ऊपर चोरी की कुर्सी पर बैठे हैं, दूसरी तरफ- उनके भतीजे T20 और E20 के नाम पर पैसा कमा रहे हैं। कुल मिलाकर- ये लोग जनता को तगड़ी चपत लगा रहे हैं।'
दरअसल, कांग्रेस ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी पर हितों के टकराव का गंभीर आरोप लगाया है। खेड़ा ने दावा किया कि केंद्र सरकार की इथेनॉल मिश्रण नीति से उनके बेटों की कंपनियों को बड़ा लाभ हुआ है। उन्होंने कहा कि निखिल गडकरी और सारंग गडकरी दोनों मोदी सरकार में मंत्री नितिन गडकरी के बेटे हैं।
पवन खेड़ा ने कहा, 'नितिन गडकरी के दोनों बेटों की कंपनियां सियान एग्रो इंडस्ट्रीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और मानस एग्रो इंडस्ट्रीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड एथेनॉल प्रोड्यूस करती हैं। यानी- सरकार में बैठे पिता पॉलिसी बना रहे और बेटे पैसा बना रहे हैं। निखिल गडकरी की कंपनी सियान एग्रो का जून 2024 में रेवेन्यू 18 करोड़ था, जो कि जून, 2025 में बढ़कर 723 करोड़ (3916.67% बढ़ोतरी) हो गया। इस कंपनी के शेयर की कीमत जनवरी, 2025 में 37 रुपए थी जो कि अब बढ़कर 638 रुपए हो गई है- यानी इन कीमतों में 2184% की वृद्धि हुई है। पिछले 11 साल के इतिहास में कोई भी स्कीम समय से पूरी नहीं हुई, लेकिन 2025 की समयसीमा से पहले देश ने 20% एथेनॉल मिश्रण हासिल कर लिया।'
कांग्रेस के 5 बड़े सवाल
- एथेनॉल से देश के किसानों को कितना फायदा हुआ?
- एथेनॉल मिश्रण के बाद भी महंगा पेट्रोल-डीजल क्यों मिल रहा है?
- अगर E20 को बढ़ावा देना पब्लिक पॉलिसी है तो इसका फायदा सिर्फ नितिन गडकरी के बेटों को ही क्यों मिला?
- नरेंद्र मोदी करप्शन पर 'जीरो टॉलरेंस' की बात करते हैं, लेकिन क्या वो अपने भतीजों पर जांच बैठाएंगे?
- साल 2014-2025 के बीच पेट्रोल-डीजल पर CESS के जरिए जो पैसा (करीब 40 लाख करोड़ रुपए) कमाया गया- उसका हिसाब जनता को कब मिलेगा?
पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि देश को बताया गया कि रूस से सस्ता कच्चा तेल आ रहा है, लेकिन जब रूस से सस्ता कच्चा तेल आया तो वहां से मोदी जी के दोस्त की रिफाइनरी में गया, फिर मोदी जी के भतीजों की कंपनी में गया, जहां एथेनॉल मिक्स हुआ और इसके बाद दिल्ली में बैठे नरेंद्र मोदी उस तेल में टैक्स मिला देते हैं।
एथेनॉल से गाड़ियाँ ख़राब?
उन्होंने कहा, 'देश से कहा गया कि एथेनॉल से माइलेज अच्छा होगा, इंजन के रख-रखाव की चिंता ख़त्म होगी, लेकिन नीति आयोग ने कहा कि माइलेज में 6% की गिरावट हुई है। 2023 से पहले जितने भी इंजन बने हैं, वो एथेनॉल के साथ कॉम्पटीबल नहीं हैं। इंजन डैमेज हो रहे, लोगों की कमाई बर्बाद हो रही है। देश की जनता की चिंता को न देखते हुए सरकार अब E30 की बात कर रही है। लोग परेशान हैं कि इंजन ख़राब हो रहे तो नितिन गडकरी कहते हैं कि पेट्रोलियम लॉबी लोगों को डरा रही है।'
उन्होंने आगे कहा, 'देश को बताया गया कि एथेनॉल से किसानों को फायदा होगा लेकिन असल में उन्हें कोई फायदा नहीं मिल रहा, बल्कि फायदा गडकरी के बेटे जैसे लोग उठा रहे हैं। देश में जितनी भी एथेनॉल की डिस्टिलरीज हैं, वे RED कैटेगरी में आती हैं, यानी पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में सवाल है- एथेनॉल से देश के किस वर्ग को लाभ मिल रहा है?'
खेड़ा ने यह भी सवाल किया कि अगर इथेनॉल मिश्रण से पेट्रोल की कीमत 55 रुपये प्रति लीटर होने की बात थी, तो भारतीय अभी भी दोगुनी कीमत क्यों चुका रहे हैं। उन्होंने इस नीति को 'पेट्रोल चोरी' करार दिया और कहा कि यह सरकार 'वोट मिलावट' के बाद अब देश को 'मिलावट' पर चला रही है।
इथेनॉल नीति पर विवाद क्यों?
केंद्र सरकार ने 2025 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण यानी E20 का लक्ष्य रखा था, जिसे समय से पहले हासिल कर लिया गया। सरकार का दावा है कि यह नीति पर्यावरण के लिए लाभकारी है, क्योंकि यह उत्सर्जन को कम करती है और किसानों की आय बढ़ाती है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इसे "हरित ईंधन" बताते हुए कहा कि यह नीति तेल आयात पर निर्भरता कम करती है और 2014 से अब तक 41,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
हालांकि, इस नीति की आलोचना भी हो रही है। कई मोटर चालकों ने शिकायत की है कि E20 ईंधन से वाहनों की माइलेज कम हो रही है और पुराने वाहनों में इंजन को नुकसान पहुंच रहा है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने स्वीकार किया कि पुराने वाहनों को 20,000-30,000 किमी के बाद गैसकेट और रबर पार्ट्स बदलने की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन गंभीर नुकसान के दावों को गलत करार दिया।
बीजेपी का जवाब
बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस बिना सबूत के निराधार दावे कर रही है। पार्टी प्रवक्ता सांबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस अब आम आदमी पार्टी की तरह आरोप लगा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अदालत नहीं जाती, बल्कि मीडिया के सामने आती है। उन्होंने कहा कि गडकरी का इथेनॉल को बढ़ावा देना किसानों, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए है, न कि व्यक्तिगत लाभ के लिए। गाड़ियों में खराबी को लेकर गडकरी ने कहा, 'मैंने पुराने वाहनों पर E20 का परीक्षण किया है। ब्राजील में 27% मिश्रण होता है, लेकिन वहां कोई शिकायत नहीं है। यह पेट्रोलियम लॉबी की साजिश है।'
यह विवाद नितिन गडकरी और केंद्र सरकार के लिए एक नई चुनौती बन गया है। एक तरफ, इथेनॉल मिश्रण को पर्यावरण और किसानों के लिए लाभकारी बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर, हितों के टकराव के आरोप और उपभोक्ताओं की शिकायतों ने इस नीति पर सवाल उठाए हैं।