कांग्रेस ने संविधान दिवस के मौके पर केंद्र की मोदी सरकार और आरएसएस पर हमला बोला। पार्टी ने आरोप लगाया कि आरएसएस का संविधान निर्माण में कोई योगदान नहीं था, बल्कि उसका तो काम ही संविधान पर हमला करना और उसे कमजोर करना रहा है और यही काम अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह सुनियोजित ढंग से आगे बढ़ा रहे हैं।

कांग्रेस ने पूरे देश में बुधवार का दिन 'संविधान बचाओ दिवस' के रूप में मनाने का ऐलान किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर लिखा, 'आज संविधान दिवस पर हम बाबासाहेब आंबेडकर और संविधान सभा के सभी महान नेताओं को याद करते हैं। आज सबसे बड़ी जरूरत है– संविधान के मूल सिद्धांतों न्याय, समानता, स्वतंत्रता, भाईचारा, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद की रक्षा करना। हम एक बार फिर संकल्प लेते हैं कि देश की एकता-अखंडता, प्रेम-भाईचारा और सद्भाव के लिए लोकतंत्र और संविधान की स्वतंत्रता को कायम रखेंगे।'
खड़गे ने बयान में कहा, 'आज नरेंद्र मोदी हमें औपनिवेशीकरण के ख़तरे पर लेक्चर दे रहे हैं, पर ये उसी विचारधारा के लोग हैं, जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई में, राष्ट्रीय आंदोलन में एक मिनट भी देश की जनता का साथ नहीं दिया, उल्टा अंग्रेज़ों की गुलामी की।'

खड़गे ने कहा, 'देश की जनता जान चुकी है कि संस्थानों को कौन चोट पहुंचा रहा है। ये बीजेपी-आरएसएस के लोग संविधान की धज्जियां उड़ाने में व्यस्त हैं। इसलिए आज संविधान के प्रति इनका ये सम्मान केवल दिखावा है, ढोंग है। इन्होंने ही संविधान की प्रतियां जलाई थीं, आज ये जाकर बाबा साहेब की प्रतिमा पर फूल चढ़ा रहे हैं, ये भारत के संविधान और हमारे पूर्वजों की सबसे बड़ी जीत है।'
खड़गे ने कहा, 'आज विडम्बना यह है कि जो लोग कभी संविधान से ज़्यादा मनुस्मृति को मानते थे, सत्ता में आने के बाद मजबूरी और राजनीतिक आवश्यकता के कारण उसी संविधान को अपना बताने की कोशिश कर रहे हैं। 11 दिसंबर, 1948 को इन्होंने रामलीला मैदान में बड़ा सम्मेलन करके डॉ. आंबेडकर जी का पुतला भी फूंका था। आरएसएस ने केवल संविधान और तिरंगे का विरोध ही नहीं किया, बल्कि अंग्रेजी राज में जब स्वाधीनता सेनानी जेलों में थे, तो आरएसएस अंग्रेजों के साथ था और उसी आरएसएस की मोदी जी लाल किले से तारीफ करते हैं। जबकि गांधीजी की हत्या के बाद 30 जनवरी 1948 को आरएसएस पर पहला प्रतिबंध सरदार पटेल जी ने लगाया था।'

संविधान बचाने का संकल्प लें: राहुल

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा, 'भारत का संविधान सिर्फ एक किताब नहीं, हर नागरिक से किया गया पवित्र वादा है। चाहे किसी भी धर्म-जाति का हो, किसी भी क्षेत्र-भाषा का हो, गरीब हो या अमीर- सबको बराबरी, सम्मान और न्याय मिलेगा। संविधान गरीब-वंचित का सुरक्षा कवच है, उनकी ताक़त है, हर नागरिक की आवाज़ है। जब तक संविधान सुरक्षित है, हर भारतीय का हक सुरक्षित है। आइए संकल्प लें- संविधान पर कोई आघात बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसे बचाना मेरा कर्तव्य है और मैं सबसे पहले इसके खिलाफ खड़ा होऊंगा।'

'आरएसएस का संविधान में कोई योगदान नहीं'

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने याद दिलाया कि 26 नवंबर 1949 को जब संविधान सभा ने संविधान अपनाया था, तब सभा के सभापति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपने भाषण में नेहरू, पटेल और आंबेडकर की भूमिका का गुणगान किया था, लेकिन आरएसएस का कहीं ज़िक्र तक नहीं था।

रमेश ने लिखा, 'उस दिन गवर्नर-जनरल सी. राजगोपालाचारी गुवाहाटी में थे और उन्होंने कहा था कि आंबेडकर को संविधान निर्माण की जिम्मेदारी सौंपना अहिंसा की सबसे बड़ी जीत है। संविधान निर्माण के पूरे इतिहास में आरएसएस का कोई योगदान नहीं था। बल्कि संविधान अपनाए जाने के बाद से आरएसएस का काम ही इसे कमजोर करना रहा है– यही काम अब वर्तमान प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सुनियोजित ढंग से कर रहे हैं।'
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'400 पार का सपना संविधान बदलने के लिए था'

संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, 'आज हम पूरे देश में संविधान बचाओ दिवस मना रहे हैं। यह सरकार 400 पार का नारा लेकर आई थी ताकि आंबेडकर के सामाजिक न्याय के सपने, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता और संघीय ढांचे को बदल सके।

जनता ने जागकर इसे रोक दिया, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। वोट चोरी, वोटर लिस्ट में हेरफेर, ईसीआई जैसे संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग- बीजेपी-आरएसएस का संविधान-विरोधी एजेंडा जारी है। कांग्रेस का कर्तव्य है कि वह संविधान की रक्षा करे। आज पूरे देश में प्रस्तावना पाठ, सेमिनार और जनसंपर्क कार्यक्रम हो रहे हैं।'

कांग्रेस का पुराना आरोप फिर दोहराया

मंगलवार को ही कांग्रेस ने याद दिलाया था कि ठीक 76 साल पहले, 26 नवंबर 1949 को जब आंबेडकर ने संविधान अपनाने का प्रस्ताव रखा था, तभी से आरएसएस ने आंबेडकर और संविधान पर भयंकर हमले शुरू कर दिए थे। ये आज तक जारी हैं। 2015 से हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। इस बार विपक्षी दल ने इसे मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा राजनीतिक हथियार बना दिया है।