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I.N.D.I.A: सीट बंटवारे पर कांग्रेस मुसीबत में, पवार का पीएम फेस पर अलग सुर

दिसंबर बीतने जा रहा है। लेकिन इंडिया गठबंधन के दल अभी तक सीटों को लेकर कोई समझौता या फॉर्मूला तलाश नहीं कर पाए। हालांकि कांग्रेस की ओर से 30 दिसंबर इसकी डेडलाइन रखी गई थी। लेकिन एक भी कांग्रेस प्रदेश यूनिट ने इस संबंध में कोई शुरुआत नहीं की। यूपी जो लोकसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाएगा, वहां अभी बसपा को इंडिया में लेने या न लेने पर जंग छिड़ी हुई है। सीटों की बात तो दूर है। अब खबर आ रही है कि यूपी-बिहार के क्षेत्रीय दल अपनी शर्तों पर कांग्रेस को सीट देना चाहते हैं।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस बिहार में आरजेडी के रुख से हैरान है। आरजेडी को कांग्रेस की सबसे नजदीकी पार्टी माना जाता है। राहुल का लालू के घर आना-जाना है। तेजस्वी बेरोकटोक राहुल से मिल सकते हैं। लेकिन उसी आरजेडी ने अब कांग्रेस को बिहार लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए चार सीटें ऑफर की हैं। उसने सीपीआई और सीपीआईएमल को दो सीटें देने की पेशकश की है। बताया जाता है कि जेडीयू और आरजेडी मिलकर 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। 
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सूत्रों का कहना है कि यूपी में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 8 सीटों की पेशकश की है। इन सीटों में वाराणसी और लखनऊ की सीटें, जहां पार्टी अपना बहुत जनाधार नहीं मानती। लखनऊ वैसे भी लगातार भाजपा जीत रही है। सूत्रों का कहना है कि यूपी में कांग्रेस कम से कम 20 सीटों पर लड़ना चाहती है और बाकी वो क्षेत्रीय दलों के लिए छोड़ना चाहती है। जिसमें अब बसपा को भी एडजस्ट किया जाना है। 
संकेत यही है कि बसपा अगर इंडिया में नहीं भी आई तो यूपी में सीटों को लेकर कांग्रेस से तालमेल कर सकती है। यूपी प्रदेश कांग्रेस दरअसल बसपा के साथ मिलकर लड़ना चाहती है तो दूसरी तरफ बसपा के सांसद भी कांग्रेस से तालमेल चाहते हैं। लेकिन इन सूचनाओं की पुष्टि के लिए फिलहाल कोई भी दल मुंह खोलने को तैयार नहीं है। लेकिन कांग्रेस और बसपा के बीच पॉजिटिव सिग्नल का आदान-प्रदान हो रहा है।
पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी का रुख कांग्रेस और बाकी गठबंधन दलों से कोई लचीला नहीं है। सूत्रों का कहना है कि ममता कांग्रेस और सहयोगी दलों को सिर्फ दो सीट देना चाहती है। जबकि कांग्रेस और कम्युनिस्ट दलों की नजर करीब 8 सीटों पर है। उधर असम टीएमसी ने अकेले असम के लिए इंडिया गठबंधन से चार सीटों की मांग की है। असम टीएमसी अध्यक्ष रिपुन बोरा की नजर धुबरी, लखीमपुर, कोकराझार और करीमगंज सीटों पर है। 

पंजाब में भी मामला फंसा

पंजाब में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच अभी बातचीत फाइनल नहीं हो पाई है। सूत्रों का कहना है कि पंजाब प्रदेश कांग्रेस के नेता आप से तालमेल के खिलाफ हैं। एएनआई के मुताबिक पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने मंगलवार को कहा- ''आज एक रणनीति बैठक है और अगर पूछा गया तो मैं अपने विचार और लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं के विचार सामने रखूंगा। ऐसी संभावना है कि बैठक में इस पर (गठबंधन के मुद्दे पर) चर्चा की जाएगी...।" सूत्रों का कहना है कि आप एक भी सीट कांग्रेस को नहीं देना चाहती है। जबकि प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति इतनी बुरी भी नहीं रही है। इसलिए कांग्रेस भी यहां सीटों के लिए अड़ेगी। 
शरद पवार भी पीएम फेस पर बोले
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सुप्रीमो शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि 1977 के लोकसभा चुनाव (आपातकाल के बाद) के दौरान किसी भी दल ने प्रधानमंत्री पद का चेहरा पेश नहीं किया था। पवार की टिप्पणी तब आई जब विपक्षी इंडिया ने अभी तक आगामी 2024 चुनावों के लिए प्रधानमंत्री पद का चेहरा पेश नहीं किया है। हालाँकि, इंडिया समूह के कुछ दलों ने कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्षी गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित किया है।

Congress trouble increased on seat sharing in I.N.D.I.A., Pawar's tone different on PM face - Satya Hindi
एनसीपी प्रमुख शरद पवार
बुजुर्ग मराठा नेता ने कहा- पवार ने कहा, "चुनाव के बाद, मोराराजी देसाई को प्रधान मंत्री बनाया गया। कोई चेहरा सामने नहीं रखने का कोई गलत नतीजा नहीं निकला। अगर लोग बदलाव के मूड में हैं, तो वे बदलाव लाने के लिए निर्णय लेंगे।"

पवार के इस बयान को इंडिया में मतभेद कहकर तमाम न्यूज चैनल प्रचारित कर रहे हैं। भाजपा को भी मौका मिल गया है। इस बीच, भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने पवार की टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा, "यहां तक ​​कि कांग्रेस भी दीदी (पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी) द्वारा आगे बढ़ाए गए खड़गे जी के नाम से खुश नहीं है।" एक्स पर पूनावाला ने ट्वीट में कहा, "एक बार फिर विभाजन खुलकर सामने आया है।"

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शुक्रवार को, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने भी कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच "बहुत बड़ा अंतर" है, और आने वाले लोकसभा चुनावों में लोग फिर से मोदी का समर्थन करेंगे।

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क़मर वहीद नक़वी
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