नीतीश कुमार ने 2013 में नरेंद्र मोदी को बीजेपी का पीएम उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध में एनडीए छोड़ दिया था, हालांकि वह 2024 में फिर से गठबंधन में शामिल हो गए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश और नायडू की स्थिति एनडीए में महत्वपूर्ण है, क्योंकि बीजेपी उनकी सहायता के बिना सरकार नहीं चला सकती। नायडू और नीतीश दोनों ने अतीत में बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ा है और उनकी लचीली राजनीति को देखते हुए विपक्ष को लगता है कि सही समय पर ये दोनों नेता गठबंधन बदल सकते हैं। राउत का यह बयान उस समय आया है, जब हाल ही में वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर भी नीतीश और नायडू ने बीजेपी का विरोध करने का संकेत दिया था। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष ने दावा किया था कि दोनों नेताओं ने इस विधेयक का विरोध करने का आश्वासन दिया है।