कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं। शनिवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा की संगठनात्मक क्षमता की सराहना की, जिससे पार्टी के भीतर और बाहर हलचल मच गई। दिग्विजय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पुरानी तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि कैसे एक साधारण कार्यकर्ता संगठन की ताकत से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बन सकता है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वे आरएसएस की विचारधारा के कट्टर विरोधी हैं और केवल संगठन की प्रशंसा की है, लेकिन इस टिप्पणी ने कांग्रेस को असहज स्थिति में डाल दिया है। रही सही कसर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने दिग्विजय सिंह को समर्थन देकर पूरी कर दी है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी आरएसएस और भाजपा की संगठनात्मक शक्ति की प्रशंसा करने वाले दिग्विजय सिंह के हालिया बयान पर उठे विवाद के बीच उनका समर्थन किया। कांग्रेस के 140वें स्थापना दिवस के अवसर पर दिग्विजय सिंह के साथ अपनी बातचीत के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए थरूर ने कहा, “हम दोस्त हैं, और बातचीत होना स्वाभाविक है। संगठन को मजबूत करना जरूरी है – इसमें कोई शक नहीं है।”
यह पहली बार नहीं है जब दिग्विजय सिंह की बेबाक टिप्पणियों ने कांग्रेस की नाव हिलाई हो। अतीत में भी उन्होंने कई मौकों पर पार्टी को मुश्किल में डाला है:
  • जनवरी 2023 में उन्होंने 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के पुलवामा हमले पर सवाल उठाए, सरकार को 'झूठा' करार दिया। इससे भाजपा ने कांग्रेस पर सेना का अपमान करने का आरोप लगाया।
  • 2008-2010 के दौरान यूपीए सरकार के समय उन्होंने बटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताया और न्यायिक जांच की मांग की, जिससे मनमोहन सिंह सरकार असहज हो गई।
  • नवंबर 2008 में मुंबई हमलों से घंटों पहले महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे से बात का जिक्र करते हुए कहा कि करकरे को हिंदू चरमपंथियों से धमकियां मिल रही थीं।
  • 2010 में आजमगढ़ का दौरा कर आतंकी मामलों में नाम आने के कारणों की जांच की बात कही, जिसे मुस्लिम तुष्टीकरण के रूप में देखा गया।
  • 2010 में ही गृह मंत्री पी. चिदंबरम की नक्सल नीति पर उन्हें 'बौद्धिक रूप से अहंकारी' कहा।

इन घटनाओं से दिग्विजय की छवि एक ऐसे नेता की बनी है जो मन की बात कहने से नहीं चूकते, भले ही इससे पार्टी को नुकसान हो।

इस ताजा विवाद पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने दिग्विजय का समर्थन करते हुए कहा, “संगठन को मजबूत करना चाहिए, इसमें कोई संदेह नहीं है। किसी भी पार्टी में अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण है। मैं भी चाहता हूं कि हमारा संगठन मजबूत बने। दिग्विजय सिंह खुद के लिए बोल सकते हैं।” थरूर ने पार्टी के 140 वर्षों के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि हमें खुद से सीखना चाहिए और अनुशासन बनाए रखना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि दोनों नेता मित्र हैं और बातचीत करना स्वाभाविक है।

भाजपा ने इस मौके का फायदा उठाते हुए कांग्रेस पर हमला बोला है, इसे पार्टी के भीतर कलह का प्रमाण बताया। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी को आरएसएस-भाजपा से नहीं, बल्कि अपने इतिहास से सीखना चाहिए।

यह विवाद कांग्रेस के स्थापना दिवस समारोह और सीडब्ल्यूसी बैठक के बीच आया है, जहां संगठनात्मक सुधारों पर चर्चा हो रही है। देखना यह है कि यह मामला पार्टी के लिए कितना बड़ा सिरदर्द बनता है। पार्टी के तमाम नेता मांग कर रहे हैं कि अगर दिग्विजय सिंह और थरूूर को आरएसएस-बीजेपी की तारीफ करना है तो उन्हें उनके संगठन में चले जाना चाहिए। वे कांग्रेस में क्यों बने हुए हैं। लेकिन न तो थरूर और न ही दिग्विजय इस मांग पर ध्यान दे रहे हैं। राजनीतिक विशलेषकों का कहना है कि ये लोग अब पूरी तरह मोदी सरकार के एजेंट की भूमिका में आ चुके हैं। हालांकि नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कई बार ऐसे नेताओं को पार्टी छोड़कर जाने को कहा है। लेकिन किसी का नाम नहीं लिया है।