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हिमाचल: क्या बीजेपी को भारी पड़ सकती है धूमल-नड्डा गुट की लड़ाई?

हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने इस बार अपने 11 सिटिंग विधायकों का टिकट काट दिया है और इसमें से 7 विधायक ऐसे हैं जो पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के करीबी हैं। 

क्या इन विधायकों का टिकट प्रदेश की राजनीति के दो बड़े नेताओं प्रेम कुमार धूमल और जेपी नड्डा की सियासी लड़ाई की भेंट चढ़ गया?

हिमाचल बीजेपी के बारे में यह जानना जरूरी होगा कि राज्य में पार्टी के 3 बड़े नेताओं के अपने-अपने गुट हैं। पहला गुट मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का है दूसरा गुट बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का है और तीसरा गुट पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का है। क्योंकि इस बार बीजेपी ने प्रेम कुमार धूमल को चुनाव मैदान में नहीं उतारा है इसलिए इस गुट की अगुवाई उनके बेटे और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर कर रहे हैं। 

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एक गुट पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार का भी हुआ करता था लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट कटने के बाद शांता कुमार हिमाचल की राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। 

2017 में हारे थे धूमल

2017 के विधानसभा चुनाव में जब प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए थे तब जेपी नड्डा का नाम मुख्यमंत्री बनने वालों की सूची में सबसे ऊपर था। लेकिन हाईकमान ने विधायक चुनकर आए जयराम ठाकुर के नाम पर मोहर लगाई थी। कहा जाता है कि जयराम ठाकुर जेपी नड्डा के समर्थन के चलते ही मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने में कामयाब रहे थे। तब सुजानपुर से हुई धूमल की हार को लेकर कहा गया था कि उन्हें पार्टी के ही नेताओं ने चुनाव हरवा दिया क्योंकि उनकी सीट बदलकर उन्हें हमीरपुर से सुजानपुर भेज दिया गया था। 

Himachal Pradesh Assembly polls 2022 Prem Kumar Dhumal and JP Nadda - Satya Hindi

नड्डा की सियासी ख़्वाहिश

साल 1993 में बिलासपुर सीट से पहली बार विधानसभा का चुनाव जीतने वाले जेपी नड्डा की सियासी ख्वाहिश हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की रही है। 2007 में प्रेम कुमार धूमल के मुख्यमंत्री रहते हुए नड्डा उनकी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। लेकिन साल 2009 में जेपी नड्डा को धूमल की कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था। 

कहा जाता है कि नड्डा के कैबिनेट से हटने के बाद प्रेम कुमार धूमल ने राहत की सांस ली थी क्योंकि तब हिमाचल की राजनीति में उन्हें चुनौती देने वाला कोई दूसरा नेता नहीं था। इसके बाद जेपी नड्डा राष्ट्रीय राजनीति में चले गए और तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया था। 2014 में जेपी नड्डा मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने। 

Himachal Pradesh Assembly polls 2022 Prem Kumar Dhumal and JP Nadda - Satya Hindi

नड्डा अगर मुख्यमंत्री नहीं बन सके तो इसकी बड़ी वजह प्रेम कुमार धूमल का हिमाचल की सियासत में ताकतवर होना ही था। कहा जाता है कि नड्डा को इस बात से संतोष है कि भले ही वह राज्य के मुख्यमंत्री नहीं बन सके लेकिन आखिरकार प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री की कुर्सी से हट गए। 

बीजेपी ने इस बार प्रेम कुमार धूमल के साथ ही अनुराग ठाकुर के ससुर गुलाब सिंह ठाकुर को भी विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया। प्रेम कुमार धूमल को टिकट न मिलने से उनके समर्थक हैरान हैं क्योंकि धूमल सुजानपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे और उनकी नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थी। पार्टी ने उन्हें चुनाव मैदान में ना उतारने के पीछे बढ़ती उम्र का हवाला दिया है। वह 78 साल के हैं। 

Himachal Pradesh Assembly polls 2022 Prem Kumar Dhumal and JP Nadda - Satya Hindi

यह साफ है कि अनुराग ठाकुर भी मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं लेकिन जयराम ठाकुर और जेपी नड्डा की सियासी जुगलबंदी की वजह से राज्य में सरकार आने की सूरत में भी उनका इस पद तक पहुंच पाना मुश्किल दिखता है। 

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे बड़े ओहदे पर होने पर होने के कारण नड्डा निश्चित रूप से कहीं ज्यादा ताकतवर हैं और अगर बीजेपी सत्ता में वापस लौटती है तो वह जयराम ठाकुर की ही पैरवी करेंगे और इससे निश्चित रूप से अनुराग ठाकुर का मुख्यमंत्री बनने का सपना पूरा हो पाना मुश्किल होगा। 

बीजेपी नेतृत्व ने हिमाचल में गुटबाजी को बढ़ने से रोकने के लिए ही अनुराग ठाकुर को केंद्र में मंत्री बनाकर उनके समर्थकों को मनाने की कोशिश की थी। लेकिन देखना होगा कि अनुराग ठाकुर मुख्यमंत्री बनने के लिए कितना लंबा इंतजार कर पाते हैं।

उपचुनाव में हार

2017 के विधानसभा चुनाव में 68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को 44 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन नवंबर 2021 में हुए उपचुनाव में बीजेपी को तीन विधानसभा सीटों पर हार और मंडी लोकसभा सीट के उपचुनाव में शिकस्त का मुंह देखना पड़ा था उसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को बदलने की चर्चा तेज हुई थी। लेकिन आखिरकार जयराम ठाकुर को पार्टी ने नहीं हटाया और इसके लिए पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का उनके साथ मजबूती से खड़े रहना बड़ी वजह रही। 

पिछले साल हुए उपचुनाव में जब बीजेपी को बड़ी हार मिली थी तब भी गुटबाजी को इसकी वजह बताया गया था। जयराम ठाकुर के समर्थक नेताओं का कहना था कि चुनाव के दौरान केवल जयराम ठाकुर ही सक्रिय दिखे और बाकी नेताओं ने उनका कोई साथ नहीं दिया। उनका निशाना धूमल परिवार पर था। 

बीजेपी ने इस बार जिस तरह धूमल के समर्थकों के टिकटों पर कैंची चलाई है उससे साफ दिखता है कि टिकट वितरण में प्रेम कुमार धूमल और अनुराग ठाकुर की नहीं चली है और इसके बाद नाराज नेताओं ने 16 सीटों पर पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव मैदान में ताल ठोक दी है। 

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अंत में सवाल यही है कि क्या हिमाचल बीजेपी के दो बड़े नेताओं यानी जेपी नड्डा और प्रेम कुमार धूमल की सियासी लड़ाई राज्य में पार्टी की जीत की संभावनाओं को मुश्किल कर देगी। अगर बीजेपी बगावती नेताओं को नामांकन वापस लेने के लिए राजी नहीं कर पाई तो उसकी जीत निश्चित रूप से मुश्किल हो जाएगी।

1985 के बाद से हर विधानसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश में सरकार बदलती रही है, इस बार क्या होगा, इसका पता 8 दिसंबर को चुनाव नतीजे आने पर चलेगा। 

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क़मर वहीद नक़वी
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