कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पार्टी की राज्य इकाई ने राहुल से और अधिक आक्रामक रुख की मांग की थी। क्योंकि प्रदेश कांग्रेस का मानना है कि ममता सरकार ने कई स्तरों पर स्पष्ट रूप से "गड़बड़" की है। लेकिन प्रदेश कांग्रेस के दबाव के बावजूद राहुल गांधी ने अपनी टिप्पणी काफी सामान्य रखी थी। लेकिन टीएमसी नेताओं ने राहुल पर भी हमला कर दिया। यहां तक भी ठीक था लेकिन ममता सरकार ने जिस तरह बाद की घटनाओं में रुख दिखाया, उस पर इंडिया गठबंधन के नेता चिंतित हैं। डॉक्टरों के प्रदर्शन पर हमला और मेडिकल कॉलेज में घुसकर तोड़फोड़, ममता के आलोचकों पर एफआईआर आदि को इंडिया गठबंधन के नेता सही नहीं मान रहे हैं।
एक गैर-कांग्रेस पार्टी के सांसद ने कहा कि ममता सरकार तीन स्तरों पर लड़खड़ा गई - आर जी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के मामले में, जिन्हें वहां से हटाने के फौरन बाद दूसरे अस्पताल के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों पर आधी रात को हुए हमले की सुरक्षा करने में विफलता और अस्पताल में क्राइम सीन के पास कुछ सबूत नष्ट करने की अनुमति कैसे दी गई।
एक विपक्षी नेता ने बताया कि कैसे कोलकाता विवाद ने सरकार के खिलाफ उनके अभियान को प्रभावित किया है। नेता ने कहा कि कहां तो हम मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई न होना, गुजरात सरकार द्वारा बिलकिस बानो मामले में दोषियों की रिहाई को लेकर भाजपा पर हमला कर रहे थे। रेप के दोषी गुरमीत राम रहीम को बार-बार दी गई पैरोल और भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की घटनाओं को उठा रहे थे लेकिन कोलकाता ने सब दबा दिया। यह अच्छा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले पर संज्ञान लिया है।