यदि इस तरह का धर्मांतरण नाबालिग का है, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला है, तो दोषी पाए जाने वालों को कम से कम 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन से 10 साल की जेल की सजा भुगतनी होगी।
उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने 2019 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में धोखाधड़ी के माध्यम से जबरन धर्मांतरण या धर्मांतरण की बढ़ती घटनाओं का हवाला देते हुए राज्य में इस तरह के कानून का प्रस्ताव रखा था।