ठाकरे गुट के लिए, नार्वेकर का फैसला कोई हैरान करने वाला नहीं है। अयोग्यता मुद्दे पर ठाकरे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भरोसा कर रहे हैं। अगर वो सुप्रीम अदालत में कानूनी लड़ाई जीत जाते हैं, तो इससे उन्हें पार्टी को फिर से खड़ा करने में बढ़ावा मिलेगा। इस संभावना को देखते हुए कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला लोकसभा चुनाव के बाद आ सकता है, ठाकरे गुट के नेता नार्वेकर के फैसले का इस्तेमाल उद्धव टाकरे के प्रति हमदर्दी पैदा करने के लिए करेंगे। खुद उद्धव से लेकर संजय राउत, आदित्य ठाकरे समेत तमाम नेता इस कहानी को बताने में जरा भी नहीं हिचकिचाएंगे कि कैसे शिंदे ने "भाजपा के इशारे पर बालासाहेब की पार्टी को चुरा लिया है।"
उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता देवेन्द्र फणवीस के लिए यह फैसला उस लड़ाई का तार्किक अंत होगा जिसमें वह एक प्रमुख खिलाड़ी थे। फैसले का इस्तेमाल वह और उनकी पार्टी शिवसेना को विभाजित करने के कदम की वैधता का दावा करने के लिए करेंगे। हालाँकि, इसका मतलब यह भी है कि शिंदे राज्य में शीर्ष पर बने रहेंगे और लेकिन वो दोबारा तब तक नहीं लौट सकते जब तक कि शिंदे के भाग्य का फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा नहीं किया जाता। यानी लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक समीकरण बदल जाएंगे।