17 अगस्त 1994 को अटल बिहारी वाजपेयीजी को सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान मिला। इस मौके पर अपने भाषण में उऩ्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू का खास जिक्र करते हुए कहा कि विपक्ष की मांग पर उन्होंने अपने सहायक एम ओ मथाई को हटाने का फैसला तत्काल कर लिया था और कहा था कि जब सदन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह महसूस करता हो कि कुछ न कुछ किया ही जाना चाहिए तब बहुमत के लिए यह कतई उचित नहीं है कि सदन की इच्छा को दरकिनार कर दिया जाए।
नेहरू और उस समय का विपक्षः 'लोग मुझ जैसे आदमी को बर्दाश्त क्यों करते हैं'
- इतिहास का सच
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- 28 May, 2025

संसद परिसर में जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल अन्य नेताओं के साथ
यह लेख इतिहास का एक सच है कि कैसे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय लोकतंत्र में विपक्ष को महत्व दिया। रचनात्मक आलोचना और संसदीय बहस को बढ़ावा दिया। यह तथ्य अटल बिहारी वाजपेयी की श्रद्धांजलि से सामने आया।
अरविन्द कुमार सिंह वरिष्ठ पत्रकार और लेखक हैं। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़े अरविन्द मूल रूप से पूर्वांचल के बस्ती जिले के रहने वाले हैं और इस समय दिल्ली में रहते हैं।