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बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की टाइमिंग पर सवाल उठा जयशंकर बोले, 'राजनीति है'

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए राजनीति किए जाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस पर परोक्ष रूप से तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि देश के अंदर और बाहर विचारधाराएँ और राजनीतिक ताक़तें हैं जो एक साथ मिलकर काम कर रही हैं।

समाचार एजेंसी एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में जयशंकर से पश्चिमी मीडिया में भारत के ख़िलाफ़ बयानों के बारे में पूछा गया। इस पर जयशंकर ने प्रधानमंत्री मोदी पर आई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर पूछा, 'क्या आपको लगता है कि टाइमिंग यूँ ही है? लगता नहीं है कि भारत में चुनाव का मौसम शुरू हुआ है, लेकिन निश्चित रूप से यह लंदन और न्यूयॉर्क में शुरू हो गया है। यह उन लोगों द्वारा खेली जाने वाली राजनीति है जो राजनीति में आने का साहस नहीं रखते हैं।'

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एस जयशंकर का यह बयान तब आया है जब प्रधानमंत्री मोदी पर आई डॉक्यूमेंट्री के बीच ही बीबीसी के दिल्ली और मुंबई कार्यालय पर आयकर छापे पड़े हैं। 

बीबीसी की 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नामक दो-भाग की श्रृंखला में डॉक्यूमेंट्री आयी है। बीबीसी ने इस सीरीज के डिस्क्रिप्शन में कहा है कि 'भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यक के बीच तनाव को देखते हुए 2002 के दंगों में उनकी भूमिका के बारे में दावों की जांच कर रहा है, जिसमें एक हजार से अधिक लोग मारे गए थे।'

जब इस डॉक्यूमेंट्री की ख़बर मीडिया में आई तो भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया। सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2002 के गुजरात दंगों पर बीबीसी श्रृंखला की कड़ी निंदा की। 
तब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि 'झूठे नैरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए प्रोपेगेंडा डिजाइन किया गया'। केंद्र सरकार ने भारत में इसे झूठा और प्रोपेगेंडा कहकर प्रतिबंधित कर दिया है।

इस पूरे मामले में जबरदस्त विवाद हुआ है। इसी बीच जब आज एस जयशंकर से इसपर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'एक मुहावरा है - दूसरे साधनों से युद्ध। इसके बारे में सोचें- यह दूसरे साधनों से राजनीति है। रिपोर्ट और ऐसे विचारों में अचानक उछाल क्यों आया है? क्या इनमें से कुछ चीजें फिर से नहीं होंगी?' 

कांग्रेस का नाम लिए बिना जयशंकर ने कहा कि भारत में राजनीतिक ताकतें अपनी राजनीतिक लड़ाई लड़ने के लिए भारत के खिलाफ पश्चिमी मीडिया द्वारा निर्धारित नैरेटिव का इस्तेमाल कर रही हैं। उन्होंने कहा, 

मैं एक साजिश को सिद्धांत के रूप में मानने वाला शख्स नहीं हूं। यह समझना क्यों मुश्किल है कि भारत के बाहर समान विचारधाराएं और राजनीतिक ताकतें हैं और दोनों एक साथ काम कर रही हैं? समस्या का एक हिस्सा तब है जब भारत में राजनीतिक ताकतें अच्छा नहीं कर रही हैं।


एस जयशंकर, विदेश मंत्री

एएनआई को दिए इंटरव्यू में विदेश मंत्री ने कहा, 'आपको एक डॉक्यूमेंट्री बनाना है? 1984 में दिल्ली में बहुत कुछ हुआ था। हमने एक डॉक्यूमेंट्री क्यों नहीं देखी? मेरा मतलब है, चलिए, आपको लगता है कि टाइमिंग आकस्मिक है? मैं आपको एक बात बता दूं - मुझे नहीं पता भारत और दिल्ली में चुनाव का मौसम शुरू हुआ है या नहीं, लेकिन निश्चित रूप से यह लंदन और न्यूयॉर्क में शुरू हो गया है।' मंत्री ने 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली भीड़ द्वारा घातक सिख विरोधी दंगों का ज़िक्र किया।

जयशंकर ने टिप्पणी की कि कभी-कभी भारत की राजनीति अपनी सीमाओं में उत्पन्न भी नहीं होती, बल्कि बाहर से आती है।

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उन्होंने आगे कहा, 'मेरा मतलब है, क्या आपको इसमें संदेह है? देखिए चीयरलीडर्स कौन हैं। क्या हो रहा है...। आप भारत की, सरकार की, बीजेपी की, प्रधानमंत्री की एक अतिवादी छवि को कैसे आकार देते हैं। मेरा मतलब है कि यह एक दशक से चल रहा है।' उन्होंने कहा कि विदेशों में इस तरह की खबरों के पीछे मकसद भारत विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाना है।

उन्होंने कहा, 'हम सिर्फ एक डॉक्यूमेंट्री या एक भाषण पर बहस नहीं कर रहे हैं जिसे किसी ने यूरोपीय शहर में दिया है या एक अख़बार कहीं संपादित करता है।' उन्होंने कहा, 'यह उन लोगों की राजनीति है, जिनमें राजनीतिक क्षेत्र में आने का साहस नहीं है। वे यह कहते हुए टेफ्लॉन कवर चाहते हैं कि मैं एक एनजीओ, मीडिया संगठन आदि हूँ। वे राजनीति खेल रहे हैं।'

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क़मर वहीद नक़वी
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