इस पत्र को भेजने की टाइमिंग महत्वपूर्ण है। पत्र 14 जुलाई को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के अगले दिन 15 जुलाई को एसीएस कर्मियों को भेजा गया था। कार्यसमिति की बैठक को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संबोधित किया था। नड्डा ने मौर्य से मुलाकात की थी। उसके बाद मौर्य के हौसले बढ़ गए। मौर्य चुप नहीं बैठे और उसके बाद अपनी ही सरकार से पत्र लिखकर पूछताछ शुरू कर दी।
सारे विवाद को तब ज्यादा हवा मिली, जब 14 जुलाई को राज्य कार्यसमिति की बैठक के दौरान मौर्य ने यह कहा कि संगठन सरकार से बड़ा है और वह हर समय पार्टी कार्यकर्ताओं और कार्यकर्ताओं का समर्थन करना जारी रखेंगे। उनके ऐसा कहने पर नड्डा ने तो कोई आपत्ति जताई और न ही मौर्य को अपने भाषण के जरिए कोई जवाब दिया। यानी मौर्य के जुमले को नड्डा का पूरा समर्थन रहा। योगी तनावपूर्ण मुद्रा में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को देखते रहे।