दिल्ली पुलिस ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, संजय राउत और सागरिका घोष सहित अन्य इंडिया गठबंधन के सांसदों को हिरासत में ले लिया है। ये सांसद विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और संसद से भारत निर्वाचन आयोग तक मार्च निकाल रहे थे। मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और शरद पवार सहित विपक्षी सांसदों ने सोमवार को बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के विरोध में संसद भवन से चुनाव आयोग मुख्यालय तक मार्च निकाला। हालांकि, पुलिस ने उन्हें परिवहन भवन में बीच रास्ते में ही रोक दिया।

जब पुलिस ने सांसदों को आगे बढ़ने से रोका, तो कई सांसद सड़क पर बैठ गए और 'वोट चोरी' के आरोपों के खिलाफ नारे लगाने लगे। सांसदों ने पोस्टर लिए और एसआईआर प्रक्रिया को वापस लेने की मांग करते हुए अपनी आवाज़ बुलंद की। 'एसआईआर' और 'वोट चोरी' शब्दों पर लाल क्रॉस वाली सफेद टोपी पहने प्रदर्शनकारियों ने बिहार में एसआईआर प्रक्रिया की निंदा करते हुए तख्तियां और बैनर लिए हुए थे। संसद के मकर द्वार से अपना मार्च शुरू करने से पहले, सांसदों ने राष्ट्रगान गाया।
इससे पहले वोट चोरी के खिलाफ नेता विपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्षी सांसदों का चुनाव आयोग तक मार्च शुरू हुआ। हालांकि दिल्ली पुलिस ने इसकी अनुमति नहीं दी। चुनाव आयोग ने कहा है कि वो सिर्फ कांग्रेस सांसदों के प्रतिनिधिमंडल से मिलेगा, क्योंकि उसने समय मांगा था। विपक्ष ने सोमवार 11 अगस्त को संसद के दोनों सदनों में वोट चोरी के मुद्दे को उठाना चाहा। लेकिन बीजेपी सांसदों के भारी हंगामे के बीच संसद दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई।

सलाखें विपक्ष को रोक नहीं पाएंगीः सुरजेवाला 

दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद, कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "क्या जेल की सलाखें राहुल गांधी और विपक्ष को रोक पाएंगी? 'अब एक ही नारा है - बोल रहा है पूरा देश, वोट हमारा छू के देख'... जनता ने मोदी सरकार और चुनाव आयोग के गठबंधन को नकार दिया है।" 


सांसद महुआ मोइत्रा बेहोश  

विरोध मार्च में उस समय हलचल मच गई जब तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा बीच रास्ते में ही बेहोश हो गईं और उनकी पार्टी के सदस्यों ने उन्हें सहारा दिया। इसी तरह, विरोध प्रदर्शन के दौरान टीएमसी सांसद मिताली बाग भी बेहोश हो गईं। मिताली को नेता विपक्ष राहुल गांधी और अन्य सांसदों ने सहारा दिया।

वोट चोरी के खिलाफ विपक्षी सांसदों का मार्च

अखिलेश बैरिकेड से कूदे 

इससे पहले समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव पुलिस बैरिकेड्स कूदकर आगे बढ़े। इससे पहले, समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा था कि सांसदों को दिल्ली की सड़कों पर चलने के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं है। यादव ने सोमवार को एएनआई से कहा, "सांसदों को दिल्ली की सड़कों पर चलने के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं है... अगर सांसदों के सड़कों पर उतरने से किसी भी तरह का खतरा है, तो यह व्यवस्था बेकार है..."
संसद से चुनाव आयोग के दफ्तर की दूरी सिर्फ दो किलोमीटर है। सांसदों के मार्च से हिंसा की कोई संभावना दूर दूर तक नहीं है। इसके बावजूद विपक्ष के इस मार्च को अनुमति नहीं दी गई।
विपक्ष ने बिहार में चल रहे एसआईआर को "वोट चोरी" करार दिया है और इसे लोकतंत्र के खिलाफ एक साजिश बताया है। उनका दावा है कि यह प्रक्रिया, खासकर बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले, लगभग 65 लाख मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाने का प्रयास है, जिसे वे संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला मानते हैं।
इससे पहले, इंडिया गठबंधन के सांसदों ने संसद परिसर में मकर द्वार के सामने विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और अन्य विपक्षी नेता शामिल थे। उन्होंने नारे लगाए और एसआईआर प्रक्रिया को वापस लेने की मांग की।
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संसद में भी विपक्ष ने इस पर चर्चा के लिए दबाव बनाया था। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोकसभा में एक स्थगन प्रस्ताव नोटिस दाखिल कर बिहार में एसआईआर पर फौरन चर्चा की मांग की थी। उन्होंने इसे "65 लाख मतदाताओं का बड़े पैमाने पर मताधिकार छीनने" और "मोदी सरकार द्वारा चुनाव आयोग का इस्तेमाल कर संविधान और लोकतंत्र पर हमला" बताया।
इंडिया गठबंधन ने गुरुवार को एक बैठक में आम राय से फैसला लिया था कि वे संसद के अंदर और बाहर इस मुद्दे पर अपने विरोध को और तेज करेंगे। विपक्षी सांसदों का कहना है कि उनकी मांग स्पष्ट है - वे संसद में एसआईआर और "वोट चोरी" के मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं।
इस बीच, विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार संसद में चर्चा से भाग रही है। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, "संसद को चलाने की जिम्मेदारी सरकार की है। हम सहयोग देने को तैयार हैं, लेकिन सहमति बनाने की जिम्मेदारी विपक्ष पर नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ पक्ष पर है।"
इंडिया गठबंधन ने चुनाव आयोग से इस मुद्दे पर मुलाकात के लिए समय मांगा है, ताकि वे अपनी चिंताओं को औपचारिक रूप से उठा सकें। यह मार्च और विरोध प्रदर्शन विपक्ष की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वे लोकतंत्र और मतदाता अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी आवाज को और मजबूत करना चाहते हैं।
यह विरोध प्रदर्शन उस समय हो रहा है, जब संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है, और विपक्ष विभिन्न मुद्दों पर सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर है। इस मार्च से विपक्ष का संदेश स्पष्ट है - वे "वोट चोरी" के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करेंगे और लोकतंत्र की रक्षा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

चुनाव आयोग ने अब तक क्या क्या पैंतरा बदला 

चुनाव आयोग वोट चोरी के आरोपों से बचने के लिए नए-नए पैंतरे बदल रहा है। लेकिन उसके हर पैंतरे के बाद विवाद खड़ा हो रहा है। उसके कुछ पैंतरों के बारे में जानिएः

  • डिजिटल मतदाता सूची नहीं मिलेगी, सीसीटीवी फुटेज नहीं मिलेगी। इसके लिए मोदी सरकार ने नियम बदल दिए 

  • चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मतदाता सूची के डिजिटल प्रारूप यानी फॉर्मेट को बदल दिया ताकि सही जानकारी कोई पा ही न सके

  • मतदाता सूची से डिलीट किए गए नामों की अलग से कोई सूची आयोग प्रकाशित नहीं करेगा। ऐसा करने को वो बाध्य नहीं 

  • ऐसी मतदाता सूची प्रकाशित नहीं करने के कारण बताने को भी आयोग बाध्य नहीं 

  • बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची से 65 लाख नामों की अलग से कोई सूचना किसी सूची के जरिए नहीं मिलेगी